सपा कैसे तय करेगी कांग्रेस-आरएलडी के साथ सीट शेयरिंग का फॉर्मूला,बीजेपी का सभी 80 लोकसभा सीटों पर क्लीन स्वीप का टारगेट
राजनितिक में एक कहावत कहा जाता है कि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है. यह बात ऐसी ही नहीं कही जाती है बल्कि इसके मजबूत आधार भी हैं. वही बता दें कि देश की कुल 543 लोकसभा सीटों में से 80 सीटें यूपी की हैं, जो कि लगभग 16 फीसदी होता है. पीएम मोदी सत्ता के सिंहासन पर इसी यूपी के रास्ते से होकर दो बार विराजमान हो चुके हैं, लेकिन 2024 में उनकी इसी राह में रोड़ अटकाने के लिए विपक्षी कवायद की जा रही है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्षी दल को एकजुट करने के लिए सभी दलों के नेताओं से मुलाकात कर एक साथ चुनाव लडने की बात कही है। हालांकि बता दें कि आरएलडी, सपा और कांग्रेस के एक साथ आने का सियासी तानाबाना बुना जा रहा है, लेकिन तीनों दलों के बीच सीट शेयरिंग का फॉर्मूला एक बड़ा मसला होगा.यूपी में सपा और आरएलडी मिलकर चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं, लेकिन जयंत चौधरी की कोशिश है कि कांग्रेस को भी गठबंधन में शामिल किया जाए. आरएलडी नेता लगातार बयान दे रहे हैं कि यूपी में बीजेपी को हराना है तो कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों को एकजुट होना होगा. नीतीश कुमार भी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात कर बिहार की तर्ज पर यूपी में भी सभी विपक्षी दलों के साथ लेने की वकालत कर रहे हैं. इस फॉर्मूले को अमलीजामा पहनाने के लिए कांग्रेस और सपा के बीच बातचीत का सिलसिला भी शुरू हो गया है.