साउथ में जाते ही कमजोर पड़ जाते हैं कांग्रेस-बीजेपी,131 सीटों पर क्या है मोदी-खड़गे का प्लान?
लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी एकता का स्वरूप लगभग तय हो गया है. बीजेपी को उत्तर भारत में घेरने के लिए कई राज्यों में विपक्ष ने रणनीति बना ली है, लेकिन दक्षिण भारत के पांच राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों की कुल 131 लोकसभा सीटों के लिए सत्तापक्ष और विपक्षी दलों की स्ट्रेटजी क्या है?पीएम मोदी का जादू उत्तर में भले ही लोगों के सिर चढ़कर बोलता हो, लेकिन दक्षिण में अभी भी फीका है. इसीलिए विपक्ष ने बीजेपी को नॉर्थ इंडिया में घेरने के लिए विपक्षी गठबंधन बनाने की कवायद की है, लेकिन मिशन-साउथ को लेकर रणनीति अलग तरह की है. दक्षिण में केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना के अलावा पुडुचेरी और लक्षद्वीप है. वही दूसरी तरफ बता दें कि इधर पटना की बैठक के बाद कांग्रेस और राहुल गांधी की मिली स्वीकार्यता ने राजनीति को दिलचस्प बना दिया. कांग्रेस लोकसभा ही नहीं बल्कि राज्यों में प्रतिद्वंदी दलों को नेस्तनाबूद करने के लिए विपक्षी एकता का आह्वान करेगी. 25 जून को तेलंगाना की बीआरएस के खिलाफ कांग्रेस ने दिल्ली से एक बड़ा झटका दिया. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी की मौजूदगी में बीआरएस के कई बड़े नेताओं ने कांग्रेस में शामिल होने की घोषणा कर दी.लेकिन असल गेम की शुरुआत अब हो रही. कांग्रेस लोकसभा चुनाव तक मोमेंटम बनाए रखने के लिए विपक्षी एकता में शामिल दलों से व्यक्तिगत रिश्तों का त्याग कर एक साथ लड़ने के लिए कहेगी.कर्नाटक की जीत के बाद कांग्रेस को दक्षिण भारत से उम्मीदें बढ़ गई हैं. जिस तरह राजस्थान की सियासी लड़ाई में कांग्रेस वापस लौटते हुए नजर आ रही है. वैसा ही मोमेंटम तेलंगाना में आलाकमान और पार्टी के रणनीतिकार महसूस कर रहे हैं. 2 जुलाई को तेलंगाना के खम्मम में कांग्रेस एक बड़ी रैली करने जा रही है, जहां से राहुल गांधी चुनावी प्रचार का आगाज करेंगे. इसी साल जनवरी में केसीआर ने खम्मम से ही एक बड़ी रैली की थी.