मणिपुर में सुरक्षाकर्मी का घर फूंका,इंटरनेट सेवा बैन पर रोक बढ़ी
मणिपुर में पिछले दो महीनों से जारी हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है. आए दिन किसी ने किसी हिस्से से हिंसा की खबरें सामने आ रही हैं. उपद्रवियों की भीड़ ने इस बार सुरक्षाकर्मी के घर को आग के हवाले कर दिया है. मणिपुर हिंसा को रोकने के लिए सरकार की तरफ से लगातार कदम उठाए जा रहे हैं. इसी कड़ी में इंटरनेट बैन की अवधि को बढ़ा दिया गया है. वहीं, राज्य के कुछ इलाकों में दो महीने बाद फिर से स्कूलों को खोला गया है. मणिपुर के मुद्दे पर कांग्रेस ने एक बार फिर से सरकार को घेरा है. वही दूसरी तरफ बता दें कि इधर मणिपुर में हो रही हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सरकार की ओर से पेश हुए एसजी तुषार मेहता ने कहा कि स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है. 355 रिलीफ कैंप हैं. वहां सुरक्षा बल तैनात हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मणिपुर पर स्टेटस रिपोर्ट मांगी है. इस पर एसजी ने कहा कि थोड़ा समय दें. वही दूसरी तरफ बता दें कि इधरमणिपुर में भड़की हिंसा को 2 महीने बीत चुके हैं लेकिन अभी भी हालात गंभीर बने हुए हैं. कई इलाकों से लगातार हिंसा की खबर सामने आ रही है. सरकार शांति बहाली की कोशिशों में लगी है। लेकिन उपद्रवी लगातार इसमें खलल डालने की कोशिश कर रहे हैं. इस बीच मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने मणिपुर हिंसा को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने संभावना जताई है कि इस हिंसा का प्लान पहले ही बना लिया गया था और इसमें विदेशी ताकतों का हाथ भी हो सकता है. वही दूसरी तरफ बता दें कि इधर मणिपुर में हो रही हिंसा को लेकर कांग्रेस लगातार बीजेपी को घेर रही है. कांग्रेस की तरफ से मांग की जा रही है कि राज्य के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह को तुरंत इस्तीफा दें. शनिवार को कांग्रेस की संसदीय रणनीति समूह की बैठक हुई, जिसमें समान नागरिक संहिता मणिपुर हिंसा, राहुल गांधी की सदस्यता जाने और देश में बढ़ती महंगाई पर चर्चा हुई. बैठक के बाद कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मीडिया से बात करते हुए मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरा.जयराम रमेश ने कहा कि बैठक में कई सारे मुद्दों पर चर्चा की गई. मणिपुर में जिस तरह से सरकार की पूरी व्यवस्थाएं ढह रही हैं, उस पर बात की गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरते हुए कांग्रेस नेता ने कहा है कि पीएम को मणिपुर हिंसा पर अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए. राज्य में जिस तरह के हालात हैं, उसे देखते हुए राज्य सरकार को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए. मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह को हिंसा रोकने में विफल रहने की जिम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.