UCC की राह में रोड़ा बनेंगी आदिवासियों की ये अनोखी परंपराएं,छूट दी तो मुस्लिम समाज करेगा विरोध
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यूनिफॉर्म सिविल कोड को लाने में सरकार को जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। यह कहना है आदिवासियों का, जिनका मानना है कि यूसीसी आने के बाद उनका अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा. आदिवासी यानी अनुसूचित जनजातियों की अपनी अलग पहचान है और इनके अपने अनोखे पारंपरिक नियम हैं, जिससे यह अपने समाज पर शासन करते हैं. अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड में आदिवासियों को भी शामिल किया गया तो इनकी जीवनशैली पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ सकता है. वही दुसरी तरफ बता दें कि यूनिफॉर्म सिविल कोड पर वरिष्ठ मंत्रियों का एक अनौपचारिक जीओएम यानी ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स बनाया गया है. इसमें किरेन रिजिजू, स्मृति ईरानी, जी किशन रेड्डी और अर्जुन राम मेघवाल शामिल हैं. बुधवार को इन मंत्रियों की बैठक हुई. वही दुसरी तरफ बता दें कि इधर समान नागरिक संहिता पर सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि पहले प्रधानमंत्री देश को यह बताए कि उनका प्रस्ताव क्या है, वो किस चीज की एकरूपता चाहते हैं. जब तक हमारे सामने कोई प्रस्ताव नहीं आ जाता तब तक बहस की शुरुआत कैसे होगी? उन्होंने यह भी कहा कि संविधान का अनुच्छेद 44 कहता है कि पूरे देश में समान नागरिक संहिता का प्रयास होना चाहिए तो उत्तराखंड का यूसीसी तो पूरे देश में लागू नहीं हो सकता है।
वही दुसरी तरफ बता दें कि इधर मध्य प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने समान नागरिक संहिता को लेकर कहा कि अभी इस पर किसी तरह का बयान देना जल्दबाजी होगा. हमें तो आदिवासियों की भी चिंता करानी है. तमाम वर्गों के बारे में सोचना होगा. वही इधर बता दें कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने यूसीसी का खुलकर समर्थन किया है. लंबे वक्त तक मोदी सरकार में अल्पसंख्यक मंत्री रहे मुख़्तार अब्बास नकवी भी अब यूसीपी के फ़ायदा गिनाने में जुट गए हैं. यूसीपी पर नकवी ने साफ़ कहा कि इस समावेशी सुधार का यही सही समय है. अभी नहीं तो कभी नहीं. उन्होंने विपक्षी पर तंज कसा और सलाह दी कि विपक्ष कांग्रेस के अंतर्विरोध पर अपनी अंतरात्मा की आवाज से अंकुश लगाए.