INDIA और NDA में जयंत को लेकर खींचतान जारी,अखिलेश ने चली नई चाल
राजनीति के अंदर राजनीति। चुनावी दंगल में नए-नए दांवों की आजमाइश। 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर यूपी में दबाव की राजनीति का नया ध्रुव खड़ा हो रहा है। रालोद मुखिया जयन्त चौधरी अपनी ताकत दिखाकर जहां ‘इंडिया’ में मजबूत भागीदारी की राह तलाश रहे हैं, वहीं एनडीए को भी अहम संदेश दिया है।सपा मुखिया अखिलेश यादव ने रालोद के गढ़ मुजफ्फरनगर में जाट चेहरा हरेंद्र मलिक को प्रभारी बनाकर छोटे चौधरी के गणित को उलझा दिया है। पश्चिम उप्र की राजनीति 2014 से चुनावी दिशा तय कर रही है। दरअसल आपको बताते चलें कि किसान आंदोलन एवं 2022 विधानसभा चुनाव के बाद जयन्त चौधरी राजनीति के बड़े खिलाड़ी बनकर उभरे हैं। उन्हें एनडीए अपने साथ जोड़कर राजस्थान, पंजाब एवं हरियाणा तक साधना चाह रही है तो बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक में भी जयंत को तवज्जो मिली। वही इधर आपको जानकारी देते चले कि बिहार में पिछले सप्ताह कई बड़े सियासी हलचल देखने को मिला। बेंगलुरु में विपक्ष गठबंधनों दलों की बैठक और एनडीए की बैठक को लेकर सियासी सरगर्मी देखने को मिली। भाजपा नेता विजय सिंह की मौत को लेकर भाजपा ने नीतीश सरकार पर हल्ला बोला। इधर, सप्ताह के अंत तक बिहार कैबिनेट विस्तार की चर्चा ने जोर पकड़ा। वहीं, पशुपति पारस और चिराग के बीच अंतर्विरोध फिर सामने आ रहा है। वही आपको बताते चलें कि सियासी सरगर्मी में बिहार में भी रही। 17-18 जुलाई को विपक्षी दलों की संयुक्त बैठक हुई। बैठक से नीतीश कुमार के तुरंत पटना लौट आने पर सियासी पारा चढ़ गया। भाजपा ने इसे नीतीश कुमार की नाराजगी बताया। हालांकि, सीएम नीतीश कुमार खुद सामने आए और उन्होंने अपने लौट आने की वजह भी बताई। दरअसल आपको बताते चलें कि बेंगलुरु में मंगलवार यानी 18 जुलाई को हो रही विपक्ष की दूसरी महाबैठक में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद, उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह व जल संसाधन मंत्री संजय झा एक साथ सोमवार को दोपहर बाद ढाई बजे बेंगलुरु के लिए रवाना हुए।