दो नाव पर क्यों सवार हो रहे पवार?विपक्ष के साथ रहेंगे या चलेंगे भतीजे की राह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ शरद पवार आज यानी 1 अगस्त को मंच साझा करने वाले हैं. शरद पवार के इस फैसले से विपक्ष हैरान ही नहीं बल्कि परेशान भी है. विपक्षी एकता की तीसरी मीटिंग मुंबई में होने वाली है. लेकिन उससे ठीक पहले शरद पवार पीएम मोदी के साथ मंच साझा कर रहे हैं. विपक्षी एकता की अहम कड़ी कहलाने वाले शरद पवार कहीं भतीजे अजित पवार की राह पर चलने की योजना तो नहीं बना रहे हैं, इस पर कयासों का बाजार गरम है.पीएम मोदी के साथ मंच साझा करने का फैसला लेकर विपक्षी एकता की मजबूती के दावे को शरद पवार ने जोरदार झटका दिया है. वही दूसरी तरफ बता दें कि इधर सत्ता का धर्म और मंदिरों से बहुत पुराना कनेक्शन रहा है. हर दौर में नेता अपनी सियासी नैया को पार लगाने के लिए मंदिर का सहारा लेते रहे हैं. बीते कई सालों से हमने राम मंदिर के बारे में सुना हुआ था। जिसको राजनितिक दलों ने चुनावी आखाड़ा बनाकर धर्म और मंदिर के नामों पर कई सालों तक जनता से वोट लेते रहे थे। जब राम मंदिर का मामला मोदी सरकार द्वारा सुलझ गया तो राजनितिक दल एक बार फिर से दुसरे हथकंडे अपनाने लगे हैं। दरअसल आपको बताते चलें कि चुनावों में धार्मिक संवेदनाओं के तीर से वोटबैंक के लक्ष्य को भेदते रहे हैं. कई बार इसका फायदा भी हुआ है. शायद ये सफलता का शॉर्टकट फॉर्मूला भी बन गया है. यही वजह है आने वाले विधानसभा चुनावों और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए मंदिर एक बिग फैक्टर बन गया है.एक तरफ CM योगी ज्ञानवापी विवाद को राजनीतिक हवा दे रहे हैं. वहीं दूसरी ओर स्वामी प्रसाद मौर्य बद्रीनाथ पर विवादित बयान दे रहे हैं. इस संग्राम के बीच मंदिरों को सीढ़ी बनाकर राजनीतिक सफलता हासिल करने की बड़ी तैयारी हो रही है. देश में करीब 13 हजार करोड़ रुपए के 21 मंदिर कॉरिडोर का काम जारी है और 7 राज्यों में मंदिर कॉरिडोर बनाने पर तेजी से काम हो रहे हैं. सबसे खास बात ये है कि सभी कॉरिडोर का काम 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. वही दूसरी तरफ बता दें कि इधर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज महाराष्ट्र के दौरे पर रहेंगे. पुणे में उन्हें लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. पीएम मोदी के साथ मंच पर शरद पवार भी होंगे.