बिहार में जाति जनगणना पर लगी रोक हटी,हाई कोर्ट से नीतीश सरकार को मिली राहत
पटना हाई कोर्ट ने जाति जनगणना पर लगी रोक को हटा दिया है. जनगणना के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया गया है. वही दुसरी तरफ बता दें कि पटना हाईकोर्ट जातीय गणना पर अपना फैसला मंगलवार को सुना दीया है। हालांकि आपको बताते चलें कि सात जुलाई को हाईकोर्ट ने जाति आधारित गणना पर पांच दिन सुनवाई करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई की थी।मामले पर सुनवाई के दौरान आवेदकों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अपराजिता सिंह सहित अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव, दीनू कुमार, रितिका रानी, रितु राज और धनंजय तिवारी ने अपना पक्ष रखा। वहीं आपको बताते चलें कि राज्य सरकार की से महाधिवक्ता पीके शाही, अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमा मनीष कुमार, आलोक राही ने दायर अर्जी का जमकर विरोध किया। जहां आवेदक जाति आधारित गणना पर सवाल उठाते हुए संविधान विरोधी बताया। उनका कहना था कि राज्य सरकार को जाति आधारित गणना कराने का अधिकार नहीं है। दरअसल आपको जानकारी देते चले कि सरकार अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जा गणना करा रही हैं। वहीं अर्जी का विरोध करते हुए महाधिवक्ता का कहना था कि राज्य सरकार अपने अधिकार क्षेत्र में रहकर जाति आधारित सर्वे करा रही हैं। इस पर किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। मगर कुछ लोग इस का विरोध कर रहे हैं, जबकि बहुत से लोग स्वेच्छा से जानकारी दे रहे हैं। हालांकि बता दें कि राज्य की आधी से अधिक आबादी द्वारा सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के व्यक्तिगत सूचनाएं दी जाती है। गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद 4 मई को जाति आधारित सर्वे पर अंतरिम आदेश जारी कर रोक लगा दी थी। साथ ही डाटा को सुरक्षित रखने का आदेश दिया था। इसके बाद आगे की सुनवाई के लिए 3 जुलाई की तारीख तय की थी, जो सात जुलाई तक चली थी।