नहाय-खाए के साथ चार दिवसीय चैती छठ महापर्व आज से शुरू
महापर्व छठ पूजा साल में दो बार मनाया जाता है। एक चैत्र माह में जिसे चैती छठ कहा जाता है। वहीं दूसरा कार्तिक मास में दीपावली के 6 दिन बाद मनाई जाती है। इस साल चैती छठ की शुरुआत 25 मार्च 2023 से हो रही है। छठ पूजा की धूम बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में अधिक रहती है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, छठ व्रत और पूजा करने से संतान की आयु लंबी होती है। साथ ही सूर्यदेव व्रतियों के परिवार को सुखमय रखते हैं। इतना ही नहीं छठ का व्रत करने से छठी मईया निसंतान दंपतियों को संतान सुख का आशीर्वाद देती हैं।आपको बता दें कि छठ का व्रत बहुत ही कठिन होता है। इसमें व्रती पूरे 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं। इतना ही नहीं छठ पूजा में पूरे चार दिनों तक व्रत के नियमों का पालन करना पड़ता है और साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखना होता है। चैती छठ व्रत की शुरुआत शुक्रवार 25 मार्च 2023 से नहाए खाय के साथ हो रही है। छठ पूजा में नहाय खाय, खरना, अस्ताचलगामी अर्घ्य और उषा अर्घ्य का विशेष महत्व होता है। जानते हैं चार दिवसीय छठ पर्व से जुड़ी विशेषता व महत्वपूर्ण डेट के बारे में।
कब है चैती छठ 2023 तिथि (Chaiti Chhath 2023 Calendar)
- पहला दिन- नहाय खाय (26 मार्च 2023)
- दूसरा दिन- खरना (26 मार्च 2023)
- तीसरा दिन- अस्तचलगामी सूर्य (डूबते सूरज) को अर्घ्य (27 मार्च 2023)
- आखिरी दिन व चौथे दिन- उदीयमान सूर्य (उगते सूरज) को अर्घ्य (28 मार्च 2023)
- नहाय खाय
- नहाय खाय के दिन से ही महापर्व छठ की शुरुआत होती है। इस दिन व्रती महिलाएं सुबह स्नान कर नए वस्त्र धारण कर सूर्य भगवान की पूजा करती हैं। इसके बाद सात्विक खाना खाती है, जिसमें प्याज-लहसुन नहीं रहता है। कुछ जगहों पर नहाय खाय के दिन कद्दू की सब्जी भी बनाई जाती है।
- खरना का महत्व (Kharna 2023)
- खरना का दिन व्रती महिलाओं के लिए काफी मायने रखता है क्योंकि इसी दिन से उनका 36 घंटे का व्रत शुरू हो जाता है। खरना के दिन दूध-गुड़ वाली खीर और रोटी प्रसाद के रूप में बनाई जाती है। ये प्रसाद में मिट्टी के नए चूल्हे पर ही बनाया जाता है। इसके बाद व्रती महिलाएं स्नान कर साफ वस्त्र पहनकर भगवान सूर्य को अर्घ्य देती है। उसके बाद ही वे प्रसाद ग्रहण कर सकती हैं। खरना के दिन ही छठ का प्रसाद ठेकुआ और अन्य चीजें भी बनाई जाती है।
- अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य
- छठ पूजा ही जिसमें डूबते सूर्य की पूजा की जाती है। 27 मार्च को शाम के समय सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। इसे संध्या अर्घ्य भी कहा जाता है। इस दिन व्रती पानी के बीच में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देती हैं।
- उदयीमान सूर्य को अर्घ्य
- 28 मार्च को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और इसी के साथ छठ महापर्व का समापन हो जाएगा। इसी दिन व्रती महिलाएं अपने व्रत का पारण करेंगी।