महिला आरक्षण बिल पास होने से बीजेपी को होगी फायदा या ओबीसी को आरक्षण नहीं दिए जाने से पार्टी को पहुंचेगी नुकसान?

 महिला आरक्षण बिल पास होने से बीजेपी को होगी फायदा या ओबीसी को आरक्षण नहीं दिए जाने से पार्टी को पहुंचेगी नुकसान?
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संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने वाला नारी शक्ति वंदन विधेयक पास हो चुका है. अब इसके लागू होने के समय और इससे बदलने वाले राजनीतिक सम्मीकरण पर जमकर चर्चा हो रही है. इसे अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव और इस साल के अंत में पांच राज्यों की विधानसभा के चुनाव से पहले पीएम मोदी का मास्टरस्ट्रोक कहा जा रहा है. राजनीतिक एक्सपर्ट का कहना है कि इस अधिनियम के आने के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) की लोकसभा चुनाव 2024 में महिलाओं के बीच स्थिति मजबूत होगी और यह पॉलिटिकल गेम चेंजर साबित हो सकता है. आइए जानते हैं कि आखिर कैसे और कितनी सीटों पर यह प्रभावित कर सकता है.महिला आरक्षण का अजेंडा 2014 और 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान भी बीजेपी के घोषणापत्र में शामिल था।

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अब कानून बन जाने से 160 से अधिक लोकसभा सीटों पर असर पड़ सकता है. दरअसल, इन सीटों पर महिला वोटर्स ने पिछले चुनावों में पुरुषों की तुलना में यादा वोटिंग की थी.चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, 2019 तक भारत में लगभग 91 करोड़ मतदाता थे जिनमें 44 करोड़ महिलाएँ थीं. इनमें महिला मतदाताओं ने पिछले लोकसभा चुनावों में मतदान के मामले में अपने पुरुष समकक्षों से बेहतर प्रदर्शन किया था. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 67.02 प्रतिशत पुरुषों की तुलना में 67.18 प्रतिशत महिलाओं ने वोट डाला था. यानी यहां वोट डालने के मामले में महिलाएं आगे रहीं थीं. तमिलनाडु, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड और गोवा में महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में अधिक वोटिंग की थी. तमिलनाडु (39) और केरल (20) को छोड़कर, इन सभी राज्यों में, भाजपा ने 2019 के आम चुनावों में जोरदार जीत हासिल की।

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इस जीत का श्रेय महिला वोटर्स को ही जाता है.सीएसडीएस के आंकड़ों के अनुसार, भाजपा को 2019 में कुल वोटों में से 37 प्रतिशत वोट मिले, जिनमें से 36 प्रतिशत से अधिक वोट महिलाओं के थे. वहीं दूसरी तरफ, कांग्रेस को 2019 में सिर्फ 52 सीटों पर जीत मिली थी. पार्टी को महिला मतदाताओं से 20 प्रतिशत समर्थन मिला जो बहुत कम है. महिलाओं के बाकी 44 प्रतिशत वोट तृणमूल कांग्रेस, बीजू जनता दल, बहुजन समाज पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) जैसी क्षेत्रीय पार्टियों को गए.इसके अलावा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, 9.6 करोड़ महिलाओं के लिए उज्ज्वला योजना, 27 करोड़ जन धन खाते खोलना, महिला उद्यमियों को 27 करोड़ मुद्रा ऋण और मिशन पोषण सहित महिलाओं के लिए की गई अन्य पहलों का भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

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