इजराइल-हमास युद्ध में आया नया मोड़,फिलिस्तीनियों को बचाने के लिए ईरान और सऊदी अरब ने मिलाया हाथ
इजराइल के हमलों के खिलाफ ईरान और सऊदी अरब ने हाथ मिला लिया है. ईरान के राष्ट्रपति और सऊदी क्राउन प्रिंस ने टेलीफोन पर बात की है. इजराइल के वॉर क्राइम से फिलिस्तीनियों को बचाने के लिए मिलकर काम करने का लिया फैसला किया है. सऊदी अरब और ईरान के संबंध ठीक होने के बाद पहली बार दोनों नेताओं ने बात की है.ईरानी मीडिया ने बताया कि रायसी और सऊदी क्राउन प्रिंस ने “फिलिस्तीन के खिलाफ युद्ध अपराधों को समाप्त करने की जरूरतों पर चर्चा की.” सऊदी मीडिया ने भी इस ऐतिहासिक फोन कॉल को कवर किया है. सऊदी अरब इजराइल-हमास में जंग शुरू होने के बाद से ही क्षेत्रीय नेताओं के संपर्क में हैं. क्राउन प्रिंस और इब्राहिम रायसी के बीच बातचीत अपने आप में ऐतिहासिक है।
प्रिंस मोहम्मद ने किसी भी तरह से नागरिकों को निशाना बनाने की सऊदी अरब की अस्वीकृति को भी दोहराया.सऊदी अरब और ईरान सात साल की दुश्मनी के बाद चीन की मध्यस्थता से साथ आए हैं. ईरान और सऊदी की दुश्मनी से खाड़ी में स्थिरता और असुरक्षा पैदा हो गई थी. इन दो मुल्कों की राइवलरी ने यमन से सीरिया तक मिडिल ईस्ट को नई जंग में झोंक दिया था. क्राउन प्रिंस के साथ रायसी की कॉल के बारे में पूछे जाने पर, अमेरिकी विदेश विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वाशिंगटन, जो हमास के खिलाफ लड़ाई में इजराइल का खुला समर्थन कर रहा है, सऊदी शासन के साथ लगातार संपर्क में था.अमेरिका गाजा के हमास, लेबनान के हिजबुल्लाह या ईरान के साथ संबंध रखने वाले अपने सहयोगियों से “हमास को अपने हमलों से पीछे हटने, बंधकों को रिहा करने, हिजबुल्लाह को बाहर रखने (और) ईरान को लड़ाई से बाहर रखने की अपील” कर रहा था. सऊदी और ईरान का साथ आना अमेरिका के लिए बड़ी सिरदर्दी साबित हो सकती है. अगर दो दुश्मन मुल्क आपस में साथ आकर फिलिस्तीन की मदद करते हैं तो यह जंग को एक नया मोड़ दे सकता है. ईरान-सऊदी के साथ आने से मिडिल ईस्ट में दूसरे युद्ध का खतरा मंडरा रहा है।