टमाटर के बाद अब प्याज के दाम में लगी आग,70 रुपए तक देश में पहुंची प्याजों का दाम
नवरात्र खत्म होते ही प्याज की कमतों में आग लग गई है। देश की राजधानी दिल्ली में प्याज की कीमतें में 70 रुपए हो गई हैं। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र के लासलगांव एपीएमसी में प्याज की थोक कीमत पिछले 15 दिनों में 58 फीसदी बढ़ गई है, जिसका प्रमुख कारण महाराष्ट्र में कुल बोए गए क्षेत्र में कमी है. पिछले हफ्ते ही प्याज की कीमतों में 18 फीसदी का इजाफा हुआ है.मंगलवार तक, लासलगांव मार्केट में में प्याज की औसत कीमत 38 रुपए प्रति किलोग्राम थी, जो दो सप्ताह पहले 24 रुपए प्रति किलोग्राम से 58 प्रतिशत अधिक है. इससे पहले जुलाई और अगस्त के महीने में टमाटर की कीमत आसमान पर पहुंच गई थी. जिसकी वजह से आम लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था।
महंगाई की वजह से सरकार के माथे पर बल पड़ने शुरू हो गए थे. अब प्याज रुलाने की तैयारी कर रहा है.देश की राजधानी दिल्ली में प्याज की खुदरा कीमतें 25-50 फीसदी तक बढ़ गई हैं. फिलहाल प्याज 50-70 रुपये किलो बिक रहा है. बुधवार को दिल्ली के साथ-साथ महाराष्ट्र के कुछ बाजारों में अच्छी क्वालिटी वाले प्याज की उच्चतम कीमत 50 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई. अहमदनगर में, 10 दिनों में प्याज की औसत कीमतें लगभग 35 रुपए प्रति किलो से बढ़कर 45 रुपए प्रति किलो हो गई हैं. इसी तरह, महाराष्ट्र के अधिकांश प्याज उत्पादक जिलों में प्याज की थोक कीमतें अब 45 से 48 रुपए प्रति किलोग्राम के बीच हैं.रिपोर्ट में कहा गया है कि प्याज की कीमतें दिसंबर तक बढ़ने का अनुमान है, साथ ही नई खरीफ फसल के आने में भी देरी हो रही है, जो लगभग दो महीने की देरी से आने की उम्मीद है. बाजारों में प्याज की घटती आवक प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी का मुख्य कारण है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले एक पखवाड़े में, भंडारित प्याज की आवक में लगभग 40 प्रतिशत की गिरावट आई है, जो लगभग 400 वाहन प्रति दिन (10 टन प्रत्येक) से घटकर लगभग 250 वाहन हो गई है.अहमदनगर जिले के प्याज व्यापारियों के संघ के अध्यक्ष नंदकुमार शिर्के ने ईटी से बात करते हुए कहा कि यह स्थिति बनी रहने की उम्मीद है क्योंकि खरीफ सीजन से नए लाल प्याज की आवक में लगभग दो महीने की देरी हो रही है. केंद्र सरकार ने 25 अगस्त को प्याज के निर्यात पर 40 फीसदी शुल्क लगा दिया था. इसके अतिरिक्त, सरकार ने बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए नेफेड द्वारा खरीदे गए प्याज को मौजूदा बाजार दरों से कम पर थोक बाजारों में बेचना शुरू कर दिया।