कल से शुरू हो रहा है चैत्र नवरात्रि,जानिए घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और विधि

 कल से शुरू हो रहा है चैत्र नवरात्रि,जानिए घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और विधि
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चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू होने जा रहे हैं और इसका समापन 17 अप्रैल को महानवमी के साथ होगा. चैत्र नवरात्रि मां दुर्गा को समर्पित है. कहते हैं कि इन पवित्र दिनों में देवी की विधिवत उपासना से मनचाहा वरदान पाया जा सकता है. इस साल चैत्र नवरात्रि में पूरे 9 दिन के व्रत रखे जाएंगे. इस दौरान 16 अप्रैल को महाष्टमी का कन्या पूजन होगा. और 17 अप्रैल को महानवमी पर कन्या पूजन के साथ नवरात्रि समाप्त हो जाएंगे. इस बार चैत्र नवरात्रि पर 30 वर्ष बाद एक बड़ा ही शुभ संयोग भी बनने वाला है. आइए आपको ये शुभ संयोग और घटस्थापना का मुहूर्त बताते हैं।ज्योतिष गणना के अनुसार, चैत्र नवरात्रि पर पूरे 30 साल बाद अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, शश योग और अश्विनी नक्षत्र का अद्भुत संयोग बनने वाला है. इस दिन अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 07 बजकर 32 मिनट से प्रारंभ होंगे और यह अगले दिन 19 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 06 मिनट तक रहेंगे।

घटस्थापना का शुभ मुहूर्त:

चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि पर घटस्थापना के बाद ही नवरात्रि के व्रत प्रारंभ होते हैं. इस साल चैत्र नवरात्रि पर घटस्थापना के दो शुभ मुहूर्त बन रहे हैं।

  1. पहला शुभ मुहूर्त- 9 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 11 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 23 मिनट तक रहेगा.
  2. अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 57 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा.

घटस्थापना की सामग्री:

चैत्र नवरात्रि पर घटस्थापना के लिए कुछ आवश्यक सामग्री चाहिए. इसमें चौड़े लकड़ी की चौकी, मुंह वाला मिट्टी का एक बर्तन, पवित्र स्थान की मिट्टी, 7 प्रकार के अनाज, कलश, गंगाजल, कलावा या मौली, सुपारी, आम या अशोक के पत्ते, अक्षत (साबुत चावल), जटा वाला नारियल, लाल कपड़ा, पुष्प और पुष्पमाला.

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घटस्थापना विधि:

पहले मिट्टी को चौड़े मुंह वाले बर्तन में रखें और उसमें सप्तधान्य बोएं. फिर उसके ऊपर कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग (गर्दन) में कलावा बांधें. इसके बाद आम या अशोक के पल्लव को कलश के ऊपर रखें. अब नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर और पल्लव के बीच में रखें. इस नारियल में कलावा भी लपेटा होना चाहिए. घटस्थापना पूर्ण होने के बाद देवी का आह्वान करते हैं. आप चाहें तो अपनी इच्छानुसार और भी विधिवत पूजा कर सकते हैं।

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