शारदीय नवरात्रि का नौवां दिन आज,पढ़िए मां सिद्धिदात्री की पूजा मंत्र,आरती और कथा

 शारदीय नवरात्रि का नौवां दिन आज,पढ़िए मां सिद्धिदात्री की पूजा मंत्र,आरती और कथा
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नवरात्रि का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित है. इस दिन को राम नवमी और महानवमी के नाम से जाना जाता है. यह दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री रूप को समर्पित है. इस दिन भक्त मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना करने के साथ कन्याओं का पूजन अथवा भोजन भी कराते हैं. ऐसा करने से भक्तों पर मां दुर्गा की कृपा बनी रहती है. लोग इस दिन कन्या पूजन के साथ मां सिद्धिदात्री की विशेष रूप से पूजा आराधना करते हैं. मां को आदि शक्ति भगवती के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री की विधि पूर्वक पूजा अर्चना करने से भक्तों को सिद्धि और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस बार अष्टमी और नवमी तिथि एक ही होने के कारण दोनों ही दिन का कन्या पूजन एक ही दिन अलग- अगल मुहूर्त में किया जाएगा।

मां सिद्धिदात्री की पूजा की तिथि-

वैदिक पंचाग के अनुसार, नवमी तिथि की शुरुआत शुक्रवार, 11 अक्टूबर दोपहर 12 बजकर 6 मिनट होगी. नवमी तिथि का समापन शनिवार, 12 अक्टूबर दोपहर 10 बजकर 58 मिनट तक रहेगी. उदय तिथि के अनुसार,नवमी तिथि शुक्रवार, 11 अक्टबर को मनाई जाएगी।हिंदू पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 44 मिनट से लेकर 10. बजकर 37 मिनट तक रहेगा. वहीं नवमी तिथि का कन्या पूजन के शुभ मुहूर्त की शुरुआत 2 बजे से लेकर 2 बजकर 45 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा एक मुहूर्त सुबह 11 बजक 45 मिनट से लेकर 12 बजकर 30 मिनट तक भी रहेगा. इस मुहूर्त में भी कन्या पूजन किया जा सकता है।

मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि-

नवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना करने के लिए सुबह स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें, उसके बाद सबसे पहले कलश की पूजा व समस्त देवी देवताओं का ध्यान करें. मां को मोली, रोली, कुमकुम, पुष्प और चुनरी चढ़ाकर मां की भक्ति भाव से पूजा करें. इसके बाद मां को पूरी, खीर, चने, हलुआ, नारियल का भोग लगाएं. उसके बाद माता के मंत्रों का जाप करें और नौ कन्याओं के साथ एक बालक को भोजन कराएं।मां सिद्धिदात्री को मौसमी फल, चना, पूड़ी, हलवा, खीर और नारियल बहुत प्रिय हैं. मान्यता है कि नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री को इन चीजों का भोग लगाने से वह बहुत प्रसन्न होती है।मां सिद्धिदात्री को बैंगनी और सफ़ेद रंग प्रिय है. इस दिन मां सिद्धिदात्री को सफेद या बैंगनी रंग के वस्त्र अर्पित करना बहुत अच्छा होता है. इसके अलावा महानवमी को बैंगनी या सफेद रंग के कपड़े पहनना बहुत शुभ होता है. यह रंग अध्यात्म का प्रतीक माना जाता है।महानवमी के दिन कन्या पूजन करना बहुत ही शुभ फलदायी माना जाता है. इस दिन कन्या पूजन करने से पहले साफ जल से कन्याओं के पांव धोएं. उसके बाद पैर छूकर आशीर्वाद लें. फिर कन्याओं चंदन और कुमकुम का तिलक लगाकर कलावा बांधे. उसके बाद कन्याओं को चुनरी और चुड़ियां पहनाएं. उसके बाद कन्याओं को भोजन कराएं. फिर दक्षिणा और उपहार देकर कन्याओं के पांब छूकर आशीर्वाद लें. अंत में माता रानी का ध्यान कर क्षमा प्राथना करें।

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मां सिद्धिदात्री मंत्र जाप-

सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
स्वयं सिद्ध बीज मंत्र:
ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।

मां सिद्धिदात्री स्तुति-

या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां सिद्धिदात्री ध्यान-

वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
कमलस्थिताम् चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्विनीम्॥
स्वर्णवर्णा निर्वाणचक्र स्थिताम् नवम् दुर्गा त्रिनेत्राम्।
शङ्ख, चक्र, गदा, पद्मधरां सिद्धीदात्री भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोला पीन पयोधराम्।
कमनीयां लावण्यां श्रीणकटिं निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

मां सिद्धिदात्री की आरती-

जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता।
तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
तू जगदम्बे दाती तू सर्व सिद्धि है।
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
तू सब काज उसके करती है पूरे।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।

मां सिद्धिदात्री की व्रत कथा-

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या कर आठों सिद्धियों को प्राप्त किया था। मां सिद्धिदात्री की अनुकंपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी हो गया था और वह अर्धनारीश्वर कहलाएं। मां दुर्गा के नौ रूपों में यह रूप अत्यंत ही शक्तिशाली रूप है। कहा जाता है कि, मां दुर्गा का यह रूप सभी देवी-देवताओं के तेज से प्रकट हुआ है।कथा में वर्णन है कि जब दैत्य महिषासुर के अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवतागण भगवान शिव और भगवान विष्णु के पास पहुंचे। तब वहां मौजूद सभी देवतागण से एक तेज उत्पन्न हुआ और उसी तेज से एक दिव्य शक्ति का निर्माण हुआ, जिसे मां सिद्धिदात्री कहा जाता है।

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