मायावती अब सत्ता में नहीं कर पाएंगी वापसी!चुनावी मैदान में बिना मेहनत किये हुए चाहती हैं जीत

 मायावती अब सत्ता में नहीं कर पाएंगी वापसी!चुनावी मैदान में बिना मेहनत किये हुए चाहती हैं जीत
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बसपा का सियासी आधार चुनाव दर चुनाव सिकुड़ता जा रहा है. शोषित और वंचित समाज पर एकछत्र राज करने वाली बसपा का सियासी अस्तित्व ही खतरे में दिखाई दे रहा है. 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में बसपा खाता नहीं खोल सकी थी. बसपा ने यूपी उपचुनाव, महाराष्ट्र और झारखंड में अकेले मजबूती से चुनाव लड़ने का फैसला किया था, लेकिन यह दावा सिर्फ दावे तक ही सीमित रहा. मायावती ने झारखंड और महाराष्ट्र में एक-एक जनसभा की, लेकिन यूपी उपचुनाव में किसी भी सीट पर नहीं की. ऐसे में सवाल उठता है कि चुनाव प्रचार से किनारा कर मायावती कैसे बसपा को दोबारा से खड़ा कर पाएंगी?महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सीटों पर बसपा चुनाव लड़ रही है. राज्य की कुल 288 विधानसभा सीटों में से 237 सीटों पर बसपा चुनाव लड़ रही है. झारखंड की सभी 81 विधानसभा सीटों में बसपा ने अपने प्रत्याशी उतार रखे हैं, तो यूपी उपचुनाव की सभी 9 विधानसभा सीट पर किस्मत आजमा रही है. इसके बावजूद बसपा प्रमुख मायावती कहीं भी मशक्कत करती हुई नजर नहीं आईं और न ही उनके सिपहसालार।

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ऐसे में बसपा प्रत्याशियों को न तो यूपी में पार्टी के बड़े नेताओं का साथ मिला और न ही महाराष्ट्र और झारखंड में, जबकि सपा से लेकर बीजेपी नेताओं ने जमकर पसीना बहाया है. ऐसे में बसपा कैसे खाता खोलेगी?बसपा विपक्ष में रहते हुए उपचुनाव से दूरी बनाए रखती थी, लेकिन मौजूदा राजनीति में अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए मैदान में उतरी है. बसपा प्रमुख मायावती ने कहा था कि बसपा उपचुनाव में यह प्रयास करेगी कि उसके लोग इधर-उधर न भटकें. वह पूरी तरह से बसपा से जुड़कर बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के आत्मसम्मान और स्वाभिमान कारवां के सारथी बनकर शासक वर्ग बनने का मिशनरी प्रयास जारी रखें. इसके तहत बसपा ने सभी 9 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे।

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