जब लोकतंत्र सबसे ऊपर होता है तो ऊथल-पुथल समाज में कम दिखाई देता है,बोले सीजेआई संजीव खन्ना

 जब लोकतंत्र सबसे ऊपर होता है तो ऊथल-पुथल समाज में कम दिखाई देता है,बोले सीजेआई संजीव खन्ना
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सीजेआई संजीव खन्ना ने लोकपाल दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में कहा जब आपके पास वास्तव में लोकतांत्रिक स्वरूप का शासन होगा, तब समाज कम उथल-पुथल और कम आंतरिक गड़बड़ी का अनुभव करता है. शांति और सद्भाव, लोकतंत्र को बढ़ावा देता है. बेशक, लोकतंत्र के तहत प्रगति धीमी हो सकती है. कुछ प्रारंभिक रुकावटें आ सकती हैं, लेकिन यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया का प्रभाव जितना दिखाई देता है. उससे कहीं अधिक गहराई में चलता है.सीजेआई ने कहा कि हमारा लक्ष्य भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी लड़ाई को मजबूत करने का होना चाहिए. ताकि लोकतंत्र और जनता का विश्वास कम न हो. भ्रष्टाचार विरोधी प्रयास होने चाहिए.

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इसे लोकतंत्र को बढ़ावा देने के एक साधन के रूप में देखा जाता है. संस्थागत रूप से हमें अपने कार्यों को खुले समाज के सिद्धांतों पर आधारित करना चाहिए. मानवाधिकारों को निवारण के साथ संतुलित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सीधे शब्दों में कहें तो लोकतांत्रिक तरीके सेहमें भ्रष्टाचार विरोधी काम करना ही होगा.संस्थाओं का सही तरीके से संचालन जरूरीसीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि देश में लोकपाल के रूप में कई सारी संस्थाएं बनाई गई हैं. निश्चित तौर पर ये संस्थाएं जरूरी हैं. लेकिन देश में अच्छे संविधान की तरह ही इन संस्थाओं के सही संचालन के लिए अच्छे और जिम्मेदार लोगों की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि देश में हुए भ्रष्टाचार सिर्फ घोटालों तक सीमित नहीं हैं. इनका असर देश के सामाजिक और आर्थिक तौर पर पिछड़े और वंचित लोगों के जीवन पर पड़ता है.उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार जैसी गंभीर समस्या से निपटने के लिए तकनीकि के इस्तेमाल पर भी जोर दिया जा रहा है. इस जटिल समस्या से निपटने के लिए फोरेंसिक और साइबर जांच सहित जरूरी कामों में शामिल होने वाले लोगों की विशेषज्ञता और ट्रेनिंग पर जोर दिया जा रहा है. सीबीआई, सीवीसी जैसी संस्थाएं कोर्ट के साथ मिलकर काम कर रही हैं.

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