पॉडकास्ट में गोधरा कांड,पाकिस्तान और चीन को लेकर पीएम मोदी ने ये क्या बोल दिया?

 पॉडकास्ट में गोधरा कांड,पाकिस्तान और चीन को लेकर पीएम मोदी ने ये क्या बोल दिया?
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ पॉडकास्ट इंटरव्यू में पाकिस्तान के साथ खटास भरों संबंधों के साथ ही चीन, अमेरिका के अलावा रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग पर अपने विचार रखे. गोधरा कांड को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि गोधरा दंगों को लेकर झूठी कहानी गढ़ी गई, अदालतों ने हमें निर्दोष ठहराया. राष्ट्रपति ट्रंप के बारे में पीएम मोदी ने कहा कि वह अपने दूसरे कार्यकाल में पहले की तुलना में कहीं अधिक तैयार दिखाई दे रहे हैं.विख्यात पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन ने पीएम मोदी के साथ 3 घंटे का लंबा पॉडकास्ट किया. इस दौरान पीएम मोदी ने अपने बचपन के दिनों के संघर्ष का जिक्र किया. साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ के अपने संबंधों को लेकर कई अहम बातें कहीं.

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आइए जानते हैं कि फ्रिडमैन के साथ पॉडकास्ट में प्रधानमंत्री मोदी की बड़ी बातें…पॉडकास्ट में PM मोदी की बड़ी बातेंRSS के साथ संबंधः मैं खुद को इसके लिए सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) जैसे प्रतिष्ठित संगठन से जीवन का सार और मूल्य सीखने को मिला. मुझे उद्देश्यपूर्ण जीवन मिला. मुझे बचपन में संघ की सभाओं में जाना हमेशा अच्छा लगता था. देश के काम आना मेरे मन में हमेशा एक ही लक्ष्य रहता था. संघ ने मुझे सिखाया. यह सिखाता है कि राष्ट्र ही सब कुछ है और समाज सेवा ही ईश्वर की सेवा है.गोधरा कांडः 27 फरवरी 2002 को मेरी सरकार बजट पेश करने वाली थी, तभी हमें गोधरा ट्रेन घटना की जानकारी मिली. लोगों को जिंदा जला दिया गया. आप यह कल्पना कर सकते हैं कि पिछली सभी घटनाओं के बाद स्थिति कैसी रही होगी. 2002 से पहले 250 से ज्यादा बड़े दंगे हुए थे. 1969 के दंगे 6 महीने तक चले थे. उस समय विपक्ष सत्ता में हुआ करता था, और उन्होंने हमारे खिलाफ झूठे केसों में सजा दिलाने की पूरी कोशिश की. उनकी कोशिशों के बावजूद, न्यायपालिका ने पूरे घटनाक्रम का विस्तार से विश्लेषण किया. घटना से जुड़े आरोपियों को सजा मिल चुकी है. 2002 के बाद कोई बड़ी घटना नहीं हुई.”चुनाव आयोगः भारत में, हमारे पास एक तटस्थ और स्वतंत्र चुनाव आयोग है, जो चुनाव कराता है और चुनाव से जुड़े सभी फैसले लेता है. यह अपने आप में इतनी बड़ी सफल कहानी है कि दुनिया के प्रमुख विश्वविद्यालयों को इसके प्रबंधन पर अध्ययन करना चाहिए. वैश्विक समुदाय को हमारे यहां की चुनाव प्रणाली के पैमाने और राजनीतिक जागरूकता को देखते हुए इसका विश्लेषण भी करना चाहिए.पाकिस्तान ने हमेशा धोखा दियाः पीएम मोदी ने कहा, “भारत की ओर से शांति की हर कोशिश का जवाब पाकिस्तान ने शत्रुता और विश्वासघात के जरिए दिया. जब मैं प्रधानमंत्री बना तो अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान को आमंत्रित किया था, लेकिन हमारी शांति की हर कोशिश का जवाब शत्रुता और विश्वासघात से मिला. हम यह उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान को सद्बुद्धि आएगी और वह शांति का मार्ग अपनाएगा. मेरा यह भी मानना है कि पाकिस्तान के लोग भी शांति चाहते हैं क्योंकि वे भी संघर्ष, अशांति और निरंतर आतंक में रहते हुए थक गए होंगे.”चीन के साथ संबंधः भारत और चीन बॉर्डर पर साल 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर हुई झड़पों से पहले वाली स्थितियों को बहाल करने के लिए काम कर रहे हैं. साल 1975 के बाद पहली बार दोनों देशों के बीच टकराव ने संघर्ष का रूप ले लिया. इस संघर्ष में दोनों पक्षों के जवान मारे गए थे. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अपनी बैठक का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “राष्ट्रपति जिनपिंग के साथ हाल में हुई बैठक (पिछले साल अक्टूबर में) के बाद हमने बॉर्डर पर सामान्य स्थिति की वापसी देखी है. हम अब 2020 से पहले की स्थितियों को बहाल करने के लिए काम कर रहे हैं. धीरे-धीरे निश्चित रूप से, विश्वास, उत्साह और ऊर्जा वापस आनी चाहिए.”पाकिस्तान के साथ क्रिकेटः टीम इंडिया के हाल के सालों में अपने चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ दबदबा बनाए रखने से जुड़े सवाल पर पीएम मोदी ने कहा, “मैं कोई खेल विशेषज्ञ नहीं हूं और न ही मैं इस खेल के तकनीकी पक्षों के बारे में जानता. इसका जवाब केवल विशेषज्ञ ही दे सकते हैं. लेकिन कुछ दिन पहले भारत और पाकिस्तान के बीच मैच खेला गया था. मैच के नतीजे से पता चलता है कि कौन सी टीम बेहतर है. हम इसको इसी तरह से जानते हैं.”रूस-यूक्रेन संघर्षः दोनों देशों के बीच का संघर्ष जंग के मैदान में नहीं सुलझ सकता और इसका समाधान तभी होगा जब दोनों पक्ष बातचीत के लिए टेबल पर बैठेंगे. पीएम मोदी ने साफ किया कि इस संघर्ष में भारत तटस्थ देश नहीं है बल्कि शांति के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है. उन्होंने आगे कहा, “रूस और यूक्रेन के साथ मेरे एक जैसे करीबी संबंध हैं. मैं राष्ट्रपति पुतिन के साथ बैठ सकता हूं और कह सकता हूं कि यह जंग का समय नहीं है. मैं राष्ट्रपति जेलेंस्की को दोस्ताना तरीके से यह भी बता सकता हूं कि भाई, दुनिया में चाहे जितने भी लोग आपके साथ खड़े हों, जंग के मैदान से कभी कोई समाधान नहीं निकलेगा.”

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