बिहार में बीजेपी अपना कुनबा बढ़ाने के लिए छोटे दलों को साथ लाने की तैयारी में जुटी,मांझी-चिराग व पारस-कुशवाहा पर भाजपा की नजर
राष्ट्रीय लोक जनता दल के मुखिया उपेंद्र कुशवाहा की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात के बाद बिहार की राजनीति गर्मा गई है। इस मुलाकात के बाद कुशवाहा के 2024 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के साथ जाने की अटकलें और तेज हो गई हैं। दो महीने पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू छोड़कर नई पार्टी बनाने वाले उपेंद्र कुशवाहा के एनडीए में शामिल होने से चुनावी समीकरण बदल सकते हैं। कुशवाहा की कुर्मी-कोइरी समाज पर अच्छी पकड़ है और ये जेडीयू के कोर वोटर माने जाते हैं। ऐसे में आगामी चुनाव में बीजेपी महागठबंधन के वोटबैंक पर चोट कर सकती है।वही दूसरी तरफ बता दें कि एनडीए से अलग होने के बाद नीतीश कुमार अब बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने में लगे हुए है।ऐसे में हाल ही में उन्होंने दिल्ली का दौरा किया था।जहाँ उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकाजुर्न खड़गे राहुल गांधी और आप के चीफ अरविंद केजरीवाल एवं वाम दलों के नेता से मुलाकात कर बीजेपी के खिलाफ मोर्चेबंदी की तैयारी करने में जुट गए है।हालांकि नीतीश कुमार को बताया जा रहा है कि कांग्रेस उन्हें यूपीए के संयोजक भी बना सकती है।वही इधर बता दें कि नीतीश कुमार के आरजेडी और कांग्रेस के साथ बिहार में सरकार बनाने के बाद महागठबंधन मजबूत हो गया है। बीजेपी इसकी काट निकालने के लिए छोटे दलों को अपने साथ करने की कवायद में जुटी है। दलित राजनीति करने वाले लोजपा के दोनों गुट बीजेपी के साथ हैं। इसके अलावा रालोजद को एनडीए में शामिल कर के बीजेपी लवकुश समीकरण साध सकती है। हाल ही में पार्टी ने कुशवाहा समाज से आने वाले सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया।इसके अलावा वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी के भी एनडीए में जाने की अटकलें हैं। पिछले दिनों केंद्र सरकार ने उनकी सुरक्षा में इजाफा किया था। मुकेश सहनी की मल्लाह वोटरों पर अच्छी पकड़ है। इस तरह बीजेपी मल्लाह, कुर्मी, कोइरी और पासवान जातियों को साधने की कोशिश कर रही है। इन जातियों का बिहार में करीब 12 फीसदी जनाधार है, जो किसी भी चुनाव में एक पार्टी की जीत या हार में बड़ी भूमिका निभा सकता है।