सेंगोल विवाद पर अमित शाह ने कांग्रेस को लताड़ा,अपनी सभ्यता और परंपराओं से इतनी नफरत क्यों?

 सेंगोल विवाद पर अमित शाह ने कांग्रेस को लताड़ा,अपनी सभ्यता और परंपराओं से इतनी नफरत क्यों?
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कांग्रेस सहित 21 विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्धाटन समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है. प्रधानमंत्री मोदी रविवार को देश की संसद के नए भवन का उद्घाटन करने वाले हैं और कांग्रेस की मांग है कि राष्ट्रपति के हाथों इसका उद्घाटन होना चाहिए.अब कांग्रेस के विरोध पर गृह मंत्री अमित शाह ने पलटवार किया है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी भारतीय परंपराओं और संस्कृति से इतनी नफरत क्यों करती है? वही दुसरी तरफ बता दें कि इधर अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा है कि सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण (एक-हाथ से दूसरे हाथ में जाने) का प्रतीक है.Congress 1 लगता है कि बीजेपी ने मान लिया है कि अब सत्ता सौंपने का समय आ गया है.अपने इस ट्वीट के जरिए अखिलेश यादव ने सेंगोल को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा है। उन्होंने यह दावा किया है कि 2024 लोकसभा चुनाव में सत्ता परिवर्तन हो जाएगा। बता दें कि हाल ही में केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने सेंगोल के बारे में बात की थी। वही दुसरी ओर बता दें कि इधर देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए अब मुश्किल से एक साल का समय बचा है. केंद्र में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी लोकसभा में चुनावी जीत की हैट्रिक लगाने के मूड में है और इसके लिए 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए बीजेपी बड़ी तैयारी में जुट गई है और इस अभियान में उसका फोकस उत्तर प्रदेश पर है. मिशन युपी को लेकर बीजेपी बड़ी तैयारी कर रही है.rahul gandhi delhi police वही बता दें कि मिडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी अनुसार उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों को 3 से 5 लोकसभा सीटों के क्लस्टर में बांटा गया है. इसी तरह इसमें उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटें भी शामिल की गई हैं. पार्टी से जुड़े कई बड़े नेताओं को क्लस्टर की जिम्मेदारी दी गई है. दूसरे राज्यों के पार्टी नेताओं को भी जिम्मेदारी दी गई है. वही आपको बताते चलें कि बीजेपी पार्टी ने नेताओं की ए, बी और सी की तीन श्रेणियां बनाई हैं. ए श्रेणी में पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं को रखा गया है जिनमें केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री शामिल होंगे. इसी तरह बी श्रेणी में वरिष्ठ नेता और दूसरे राज्यों के सांसद रखे गए हैं, जबकि सी श्रेणी में स्थानीय नेताओं को रखा गया है.

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