क्रिमिनल लॉ में बदलाव के लिए अमित शाह ने आज लोकसभा में पेश किया तीन विधेयक,बोले-क्रिमिनल जस्टिस का होगा मानवीकरण

भारतीय दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय संहिता बिल 2023, सीआरपीएसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और एविडेंस एक्ट के बदले भारतीय साक्ष्य विधेयक-2023 को लोकसभा में बदलाव किया गया. इन तीन विधेयकों पर हुई बहस का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इन तीनों कानूनों से गुलामी की मानसिकता से मुक्त कराया गया है. इसमें न्याय, समानता और निष्पक्षता को सामाहित किया गया है. 150 साल पुराने अंग्रेजों के जमाने के कानून में बदलाव किया गया है. ये कानून पारित होने के बाद पूरे देश में एक ही प्रकार की न्याय प्रणाली होगी. न्याय प्रणाली में समानता लाई जाएगी।उन्होंने कहा कि साल 2014 में पीएम मोदी की सरकार बनने के बाद मेनिफेस्टो को पूरी तरह से लागू किया गया।

धारा 370 हटाया गया. आंतकवाद के खिलाफ जीरो टोलरेंस नीति लागू की गई. अयोध्या में राम मंदिर बनेगा. 22 जनवरी को रामलला विराजमान होंगे. नरेंद्र मोदी जो कहती है. उसे करती है और इन्हीं मुद्दों के साथ फिर से उनकी पार्टी चुनाव में जाएगी.उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने लाल किला के प्राचीर से कहा था कि उपनिवेशिक कानून से देश को मुक्ति मिलनी चाहिए. उसके बाद 2019 से परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू की. ये कानून विदेशी शासन गुलाम प्रजा को शासित करने के लिए बनाया गया कानून है।उन्होंने कहा कि व्यक्ति की स्वतंत्रता और सभी के साथ समान व्यवहार को लेकर यह कानून बनाया गया है. हमारे यहां न्याय की पुरानी अवधारणा है. अनेक प्रकार के दर्शन को इसमें समाहित किया गया है. दंड की कल्पना न्याय से उपजी है. दंड देने का उद्देश्य से पीड़ित को न्याय देना और ताकि लोग और गलती नहीं करे. इस कारण समाज के अंदर उदाहरण स्थापित करना उद्देश्य है. यह कानून भारतीय न्याय कानून को प्रतिबिंबित करता है. स्वतंत्रता के बाद क्रिमिनल जस्टिस के कानून का मानवीकरण होगा।