निवेशकों में बन चुका है संदेह का माहौल,हिंडनबर्ग रिसर्च के दावों पर सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई याचिका
अडाणी समूह की कंपनियों के खिलाफ अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए धोखाधड़ी के आरोपों की जांच करने के लिए की गई कार्रवाई पर सेबी से स्थिति रिपोर्ट मांगने वाले आवेदन को सूचीबद्ध करने से इनकार करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है।यह याचिका हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा प्रकाशित नवीनतम रिपोर्ट के मद्देनजर महत्वपूर्ण हो जाती है. इसमें सेबी की अध्यक्ष माधवी पुरी बुच पर हितों के टकराव के आरोप लगाए गए हैं. अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत द्वारा 3 जनवरी को पारित आदेश में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को अपनी जांच पूरी करने के लिए तीन महीने का समय दिया गया था।यह सार्वजनिक हित में और उन निवेशकों के हित में महत्वपूर्ण है, जिन्होंने अडाणी समूह के खिलाफ 2023 में हिंडनबर्ग रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद अपना धन खो दिया है. याचिका में कहा गया, ‘सेबी द्वारा की गई जांच और उसके निष्कर्षों के बारे में जानने का अधिकार निवेशकों के लाभ के लिए आवश्यक है।
तिवारी ने कहा कि अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने शनिवार को जारी एक नई रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि सेबी की वर्तमान अध्यक्ष माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अडाणी समूह के कथित धन हेराफेरी घोटाले से जुड़े ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी है।याचिका में कहा गया, ‘रिपोर्ट में व्हिसलब्लोअर के दस्तावेजों का हवाला दिया गया है. यह रिपोर्ट अडाणी समूह पर अपनी नुकसानदायक रिपोर्ट के डेढ़ साल बाद आई है, जिसके दूरगामी परिणाम हुए थे. इसमें कंपनी के प्रमुख 20,000 करोड़ रुपये के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर को रद्द करना भी शामिल है।