रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा में शामिल होना इमाम उमेर अहमद को पड़ गया महंगा,इमाम के खिलाफ अब जारी हुआ फतवा
22 जनवरी को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा हुई थी। इस कार्यक्रम में हजारों लोग पहुंचे थे। मंदिर ट्रस्ट की ओर से इमाम उमेर अहमद इलियासी भी पहुंचे थे। ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन के चीफ भी वीवीआईपी मेहमानों में शामिल थे। प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम संपन्न हुआ लेकिन इसके बाद इमाम को धमकी भरे कॉल आने लगे।धमकी भरे कॉल्स के साथ-साथ अब इमाम के खिलाफ फतवा जारी हुआ है। इस बारे में इमाम उमेर अहमद कहते हैं कि मुझे ट्रस्ट की तरफ से निमंत्रण मिला था। इस निमंत्रण पर मैंने दो दिनों तक विचार किया। इसके बाद मैंने इस कार्यक्रम में जाने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा मेरा प्रयास था कि इस कार्यक्रम में जाकर मैं भाईचारे का संदेश देना चाहता था। इमाम ने बताया कि उन्हें 22 जनवरी की शाम से ही धमकी भरे कॉल आने लगे थे।मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि कॉल करके धमकी देने वालों के कॉल्स मैंने रिकॉर्ड कर किए हैं। वह लोग मुझे जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग मुझे और मेरे देश भारत को प्यार करते हैं वो मेरा समर्थन करेंगे। वहीं जो लोग मेरे इस समारोह में शामिल होने का विरोध कर रहे हैं और मुझसे नफरत कर रहे हैं, वह पाकिस्तान चले जाएं।इमाम उमेर अहमद ने कहा कि मैंने इस कार्यक्रम में जाकर प्यार और भाईचारे का संदेश दिया था। मैंने कोई अपराध नहीं किया, इसलिए मैं ना ही माफ़ी मांगूंगा और ना ही अपने पद से इस्तीफा दूंगा। धमकी देने और फतवा जारी करने वाले जो चाहेकर सकते हैं, लेकिन मैं अपने कद से पीछे नहीं उठूंगा।इमाम के लिए जारी फतवे में कई आपत्तिजनक बातें कही गई हैं। फतवे में कहा गया है कि मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होकर इमाम ने इस्लाम के नियमों का पालन नहीं किया है। इस कार्यक्रम में जाकर हिंदुओं को खुश करने का प्रयास इमाम के द्वारा किया गया है। इसके साथ ही फतवे में सवाल पूछा गया है कि उमेर अहमद कब से इमामों और मुसलमानों के सरदार हो गए हैं।