देशभर में आज मनाया जाएगा बकरीद,जानिए नमाज का समय और इस त्यौहार का महत्व
पूरे देश में 29 जून को धूमधाम से बकरीद का त्यौहार मनाया जाएगा। इस दिन को ईद-उल-अजहा के नाम से भी जाना जाता है। इस्लाम धर्म में बकरीद को बलिदान का प्रतीक माना जाता है। इस दिन बकरे की कुर्बानी देने की परंपरा है। इस्लामिक कैलैंडर के मुताबिक, 12वें महीने जु-अल-हिज्जा की 10 तारीख को बकरीद मनाई जाती है। यह तारीख रमजान के पवित्र महीने के खत्म होने के लगभग 70 दिनों के बाद आती है। ईद-उल-अजहा मीठी ईद के करीब दो महीने बाद आती है। तो आइए जाने हैं बकरीद से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों और नमाज के समय के बारे में।जानकारी के मुताबिक, जामा मस्जिद में ईद-उल-अजहा की नमाज सुबह 6 बजकर 45 मिनट में पढ़ी जाएगी। वहीं ईदगाह में सुबह 7 बजकर 15 मिनट पर नमाज अदा की जाएगी। रजा मस्जिद में 7 बजकर 30 मिनट पर नमाज पढ़ी जाएगी।ईद-उल-अजहा की नमाज के बाद ही बकरे की कुर्बानी दी जाती है। कुर्बानी के बकरे को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। पहले भाग रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए होता है, वहीं दूसरा हिस्सा गरीब, जरूरतमंदों को दिया जाता है जबकि तीसरा परिवार के लिए होता है। बकरीद के दिन गरीबों का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है। यह त्यौहार नेकी की राह को दिखाता है।इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक, एक बार अल्लाह ने पैगंबर हजरत इब्राहिम की परीक्षा लेनी चाही और उन्होंने उनसे उनकी सबसे कीमती चीज की कुर्बानी मांगी। तब हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे हजरत इस्माइल को अल्लाह की राह में कुर्बान करने का फैसला कर लिया। लेकिन उन्होंने जैसे ही अपने बेटे की कुर्बानी देनी चाही तो अल्लाह ने उनके बेटे की जगह वहां एक बकरे की कुर्बानी दिलवा दी। अल्लाह पैगंबर हजरत इब्राहिम मोहम्मद की इबादत से बहुत ही खुश हुए। मान्यताओं के मुताबिक, उसी दिन से ईद-उल-अजहा पर कुर्बानी देने की परंपरा शुरू हुई।