शिक्षा मामले में 36 राज्यों में 36वें स्थान पर पहुंचा बिहार,नीतीश कुमार की शासन में चौपट हुई शिक्षा व्यवस्था
लोग अक्सर कहते नजर आते हैं, ‘गर्व से कहो हम बिहारी हैं’. हमारे राजनेता भी कहते हैं बढ़ता बिहार. पर जब-जब आंकड़े आते हैं तो कहना पड़ता है, आखिर क्यों ऐसा हो गया बिहार. आखिर किसकी नजर लगी कि ऐसा हश्र हो गया।डबल इंजन की सरकार के नेता अक्सर कहते दिखाई पड़ते हैं कि बिहार में साक्षरता दर को बढ़ाना है. तभी तो सबसे बड़ा बजट शिक्षा पर ही जाता है, पर न जाने ये बजट धरातल पर क्यों सार्थक नहीं हो पाता है. शिक्षा के मामले में एसडीजी इंडेक्स में बिहार सबसे निचले पायदान पर अर्थात 36 में स्थान पर है. सवाल उठता है कि क्या जो भी शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव होने थे सभी ठंडे बस्ते में चले गए?दरअसल, पिछले 19 साल से बिहार की शिक्षा व्यवस्था की कमान नीतीश कुमार के हाथ में है. सरकार के द्वारा शिक्षा में सुधार के दावे भी किए जाते हैं, लेकिन दावों की हकीकत की पोल नीति आयोग की रिपोर्ट खोल रही है ज्यादातर इंडेक्स में बिहार फिसड्डी साबित हुआ है. मतलब शिक्षा की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है।