लोकसभा चुनावों से पहले BJP-अकाली दल का हो सकता है गठबंधन,इस नेता ने किया इशारा

 लोकसभा चुनावों से पहले BJP-अकाली दल का हो सकता है गठबंधन,इस नेता ने किया इशारा
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केंद्र सरकार कृषि कानूनों को लेकर अध्यादेश लेकर आई है. इसके बाद किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया. एक साल तक आंदोलन चला. सरकार बैकफुट पर आई. पीएम मोदी ने खुद तीनों बिलों की वापसी का ऐलान किया. लेकिन तब तक पंजाब में भाजपा और अकाली दल का बरसों पुराना गठबंधन टूट गया. इसके बाद विधानसभा चुनाव हुए तो बीजेपी और अकाली दल को नुकसान हुआ. यही नहीं जालंधर लोकसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी बाजी मार गई. अब लग रहा है कि 2024 में दोनों फिर एक हो सकते हैं. ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि अकाली दल के सीनियर लीडर और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल की बातों से आभास हो रहा है.बीते कई दिनों से पंजाब के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी और शिरोमणि अकाली दल फिर से एक हो सकते हैं. वही दूसरी तरफ बता दें कि इधर आज तुअर दाल पर एमएसपी बढ़ाने को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है. तुअर दाल की MSP 400 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाने की मंजूरी मिली है. उड़द दाल की MSP 350 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाने की मंजूरी . मक्के की एमएसपी 128 रुपए प्रति क्विंटल, धान की MSP 143 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाने की मंजूरी मिली है.narendramodi ptiमोदी कैबिनेट ने दालों की MSP में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी की है. दाल के अलावा मक्के की MSP में 128 रुपए की बढ़ोतरी की है. इसके अलावा ग्रेड A धान की MSP में 143 रुपए की बढ़ोतरी की गई है. वहीं, सामान्य धान की MSP में 143 रुपए की बढ़ोतरी हुई है.मोदी कैबिनेट ने दालों की MSP में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी की है. दाल के अलावा मक्के की MSP में 128 रुपए की बढ़ोतरी की है. इसके अलावा ग्रेड A धान की MSP में 143 रुपए की बढ़ोतरी की गई है. वहीं, सामान्य धान की MSP में 143 रुपए की बढ़ोतरी हुई है.किसानों के हित में फैसला लेते हुए मोदी सरकार ने पिछले दिनों मार्केट में दालों की घरेलू सप्लाई बढ़ाने के लिए 2023-24 के लिए के तहत अरहर, उड़द और मसूर के लिए 40 फीसदी की खरीद सीमा को हटा दिया था. इसका मतलब है कि सरकार किसानों से जितनी चाहे दाल खरीद सकती है. सरकार का मानना है कि इससे दो फायदे होंगे, पहला दालों की सप्लाई मार्केट में बढ़ेगी तो दाम काबू में रहेंगे. वहीं, दूसरा किसानों को दालों की अच्छी कीमत मिलेगी.

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