मिशन 2024 में BJP को मिलेगा जीतन राम मांझी का साथ,सम्राट चौधरी ने दिया बड़ा बयान

 मिशन 2024 में BJP को मिलेगा जीतन राम मांझी का साथ,सम्राट चौधरी ने दिया बड़ा बयान
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लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बिहार का सियासी पारा हाई है। जून के दूसरे सप्ताह में राज्य का राजनीतिक तापमान चरम पर होगा। 12 जून को विपक्षी दलों की महा मीटिंग के बाद पीएम नरेंद्र मोदी विपक्षी एकता अभियान को जवाब देने बिहार आ रहे हैं। इधर जीतन राम मांझी ने अपनी बड़ी मांग रखकर महागठबंधन और नीतीश कुमार को टेंशन में डाल दिया है। इस बीच बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने जीतन राम मांझी के बारे में बयान देकर बड़े उलट-पुलट की संभावना को हवा दे दिया है।1jitanram manjhi amit shah 16813502842 जून को नीतीश कुमार के विपक्षी एकता अभियान को एक पड़ाव मिलने वाला है। काफी भागदौड़ के बाद नीतीश कुमार और विपक्षी दलों के कई नेताओं को पटना में एक साथ बैठने के लिए राजी करने पर सफल हुए। हालांकि कांग्रेसियों को लेकर अभी भी कई प्रकार की आशंकाएं सर उठा रही हैं। वही दुसरी ओर बता दें कि इधर लगता है कि कांग्रेस अभी वेट एंड वॉच वाले फार्मूले पर चलना चाहती है. विपक्षी एकता को लेकर कांग्रेस अभी जल्दबाजी में नहीं है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 12 जून को पटना में विपक्षों नेताओं की बैठक बुलाई है. राहुल गांधी ने इस मीटिंग में मौजूद रहने का सहमति भी दी थी.Screenshot 2023 06 04 13 15 16 11 40deb401b9ffe8e1df2f1cc5ba480b12 अभी वे विदेश के दौरे पर हैं. राहुल ही नहीं अब तो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी बैठक में नहीं रहेंगे.पार्टी की तरफ से बस एक मुख्यमंत्री और एक सीनियर नेता ही पटना जायेंगे. बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने इस बात की जानकारी दी. पटना जाने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत होंगे या भूपेश बघेल या फिर सिद्धरमैया, अभी इस बारे में जानकारी नहीं दी गई है. नीतीश कुमार पहले ही कह चुके हैं कि बिना कांग्रेस के विपक्षी एकता का कोई मतलब नहीं है. ऐसे में पटना वाली बैठक से कांग्रेस पार्टी की ये बेरुख़ी कई सवाल खड़े करती है. वही आपको बताते चलें कि क्या कांग्रेस ने जान बूझ कर ये फैसला किया है? अगर हां तो फिर इसकी वजह क्या है? कर्नाटक में सरकार बनाने के बाद से ही कांग्रेस का जोश हाई है. वो किसी भी क़ीमत पर सुई बराबर राजनीतिक ज़मीन छोड़ने को तैयार नहीं है. पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को लगता है कि साल के आख़िर में होने वाले कई राज्यों के चुनाव में भी उसकी ही सरकार बनेगी. ऐसे में वो विपक्षी एकता अपनी शर्तों पर करना चाहती है. इसीलिए अभी वो बाकी विपक्षी पार्टियों का मूड देख रही है. अरविंद केजरीवाल के साथ रहें या न रहें, इस पर भी अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है. इस मुद्दे पर कांग्रेस में एक राय नहीं है. कांग्रेस नेतृत्व आम आदमी पार्टी पर भरोसा करने को तैयार नहीं है.

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