दिल्ली में कल खत्म होगा बीजेपी का वनवास,क्या सच होगा एग्जिट पोल्स के नतीजे?

 दिल्ली में कल खत्म होगा बीजेपी का वनवास,क्या सच होगा एग्जिट पोल्स के नतीजे?
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दिल्ली की सत्ता तक पहुंचने के लिए बीजेपी ने इस बार हर संभव प्रयास किए हैं. एग्जिट पोल में बीजेपी नेताओं की मेहनत रंग लाती नजर आ रही है. दिल्ली में बीजेपी की सत्ता में वापसी होती दिख रही है. इस तरह दिल्ली में 27 साल से चला आ रहा सत्ता का वनवास बीजेपी खत्म करती दिख रही है. बीजेपी चुनावी बाजी भले ही जीत रही हो और सत्ता पर काबिज होने की फिराक में हो, लेकिन सवाल है कि दिल्ली की उन 11 सीटों को भी जीतने में कामयाब होगी, जिन पर कभी भी ‘कमल’ नहीं खिल सका है?केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में विधानसभा 1991 में बहाल हुई है, जिसके बाद से दिल्ली में सात बार चुनाव हो चुके हैं और अब आठवीं बार चुनाव हुआ है. बीजेपी सिर्फ एक बार 1993 में सरकार बना सकी है, लेकिन दिल्ली की 11 सीटें ऐसी हैं, जहां बीजेपी को जीत का इंतजार है.

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यह वो सीटें हैं, जहां पर मुस्लिम और दलित वोट बड़ी संख्या में है. मुस्लिम बहुल सीटें सियासी समीकरण के चलते बीजेपी के लिए बंजर बनी हुई थी तो दलित सीटें भी उसके लिए टेढ़ी खीर बनी थी. इस बार बीजेपी ने दिल्ली को फतह करने के साथ-साथ उन सीटों को भी जीतने के लिए सीक्रेट प्लान बनाया था, जहां पर कभी भी जीत नहीं सकी।दिल्ली में 1993 से लेकर 2020 तक सात विधानसभा चुनाव हो चुके हैं और अब आठवीं बार 2025 में चुनाव हुए हैं, जिसके नतीजे शनिवार को आएंगे. दिल्ली में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कोंडली, अंबेडकर नगर, मंगोलपुरी, सुल्तानपुर माजरा और देवली सीट पर बीजेपी कभी जीत नहीं सकी. ऐसे ही मुस्लिम बहुल ओखला, मटिया महल, सीलमपुर और बल्लीमारान के साथ ही जंगपुरा और विकासपुरी विधानसभा सीट पर भी बीजेपी कभी भी जीत नहीं सकी. दिल्ली की बाकी 59 सीटों पर बीजेपी जीत का स्वाद चखती रही है।दिल्ली की सत्ता में वापसी की लड़ाई को बीजेपी ने जोरदार तरीके से लड़ा और सियासी माहौल को काफी हद तक अपने पक्ष में करने में कामयाब रही, जिसके चलते एग्जिट पोल में बीजेपी की बल्ले नजर आ रही है. इसकी फेहरिस्त में बीजेपी ने उन सीटों को भी जीतने का खास प्लान बनाया था, जिन पर वो कभी भी जीत नहीं सकी थी. बीजेपी ने दलित वोटों को साधने के लिए अपने दलित नेताओं को लगाया. बीजेपी ने अपने प्रत्येक नेता अपने दायित्व वाले क्षेत्रों में कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर प्रबुद्ध लोगों, आरडब्ल्यूए के सदस्यों, मंदिरों के पुजारियों व अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर उन्हें पार्टी के साथ जोड़ने के लिए मशक्कत की।

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