नीतीश-तेजस्वी के साथ आने से 2024 चुनाव बीजेपी के लिए बना बड़ा चैलेंज,2014 का रिजल्ट से महागठबंधन का जोश हाई
लोकसभा चुनाव में अब एक साल का वक्त बचा है और बिहार में राजनीतिक दलों ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी है।वही बता दें कि ऐसे में नेताओं की उल्टी गिनती शुरू हो गई है।बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एनडीए छोड़कर महागठबंधन में आने के बाद से सूबे के राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं। सात पार्टियों वाले महागठबंधन के सामने लड़नाअब भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ा चैलेंज साबित हो सकता है। 2024 के आम चुनाव में कमोबेश 2014 वाली स्थिति बनती नजर अ रही है। उस वक्त भी जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस जैसे दल एकजुट होकर बीजेपी के खिलाफ लड़े थे। वहीं, बीजेपी के पास अभी लोजपा के दोनों गुट और उपेंद्र कुशवाहा की रालोद का समर्थन मिलने की उम्मीद है। 9 साल पहले हुए चुनाव में भी लोजपा और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी एनडीए में थी । इस समीकरण से महागठबंधन उत्साहित है, लेकिन एनडीए के खेमे में थोड़ी बेचैनी नजर आ रही है। यही वजह है कि बीजेपी नीतीश- तेजस्वी की जोड़ी को कमजोर करने के लिए हरदम प्रयास कर रही है।आगामी लोकसभा चुनाव की बात करें तो मौजूदा के हिसाब से जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस, हिंदुस्तान आवाम मोर्चा और तीनों वाम दल साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं, अगर बात बनी तो सभी सातों दल मिलकर इनपर चुनाव लड़ेंगे। अधिकतर सीटों पर बीजेपी का महागठबंधन से सीधे मुकाबला देखने को मिल सकता है।अगले साल होने वाले आम चुनाव में बिहार के अंदर 2014 वाली स्थिति बनती नजर आ रही है। लोकसभा चुनाव 2014 के रिजल्ट पर नजर डालें तो भले ही एनडीए ने 31 सीटों पर त हासिल की थी। मगर वोट शेयर के मामले में महागठबंधन की पार्टियां बीजेपी और उसके सहयोगियों से बहुत आगे है। इससे महागठबंधन के नेताओं का जोश हाई है।वही आपकों बतातें चले कि पिछले दिनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बिहार के दौरे पर आए थे।उस दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने महागठबंधन और सीएम नीतीश कुमार पर जमकर हमला करते हुए लोकसभा चुनाव में बिहार से 40 सीट जितने का दावा किया है।