वन नेशन-वन इलेक्शन पर खत्म हुई समिति की बैठक,पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अध्यक्षता में चली लंबा चर्चा

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एक देश एक चुनाव कमेटी की पहली बैठक आज हुई. सूत्रों के मुताबिक, इस उच्च स्तरीय समिति की बैठक में आगे की मीटिंग के लिए एजेंडा तय किया गया. बैठक में आगे होने वाली बैठकों के एजेंडे को तय करने के साथ ही एक देश एक चुनाव समिति ने सबसे पहले इस बात पर जांच की कि एक साथ चुनाव के रास्ते में क्या अड़चने हैं और उन्हें कैसे सिलसिलेवार तरीक़े से समाप्त किया जाए. सूत्रों के मुताबिक, हाई लेवल कमेटी एक साथ चुनाव कराने के लिए तमाम राजनीतिक दलों, विभिन्न राज्यों, चुनाव प्रक्रिया से जुड़े हुए चुनाव आयोग से सुझाव लेकर ज़रूरी उपायों की सिफ़ारिश सरकार से करेगी. एक राष्ट्र, एक चुनाव समिति के अध्यक्ष रामनाथ कोविद की अध्यक्षता में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, पूर्व नेता विपक्ष राज्यसभा गुलाम नबी आज़ाद, 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष कश्यप, वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे, पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी ने बैठक में हिस्सा लिया।

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एक देश एक चुनाव के लिए बनी इस उच्चस्तरीय समिति के बारे में अधिसूचना जारी की गई है कि भारत के संविधान और क़ानून उपबंधों के अधीन विद्यमान् ढांचे को ध्यान में रखते हुए लोक सभा, राज्य की विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के एक साथ चुनाव कराने की जांच करना और सिफ़ारिश करना और उसके लिए संविधान लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के अधीन बनाए गए नियमों या फिर किसी दूसरे विधि-विधानों और नियमों में संशोधन करने की सिफ़ारिश करना है.अधिसूचना के दूसरे पैरा में साफ़ लिखा गया है कि अगर कोई राज्य ऐसे संविधान संशोधन का समर्थन करता है तो उसकी जांच और सिफ़ारिश भी ये कमेटी कर सकती है. कमेटी के कार्यों के बारे में बताते हुए तीसरे खंड में ये बताया गया है कि त्रिशंकु सदन, अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार करना या दल-बदल या ऐसी किसी अन्य घटना के कारण एक साथ निर्वाचन के परिदृश्य में संभव-समाधान के लिए विश्लेषण जांच और सिफ़ारिश करना शामिल है. अधिसूचना में यह भी बताया गया है कमेटी चुनाव को साथ-साथ करने के लिए फ़्रेम वर्क का सुझाव देगी और यदि उन्हें साथ-साथ आयोजित नहीं किया जा सकता है तो किस तरह से समय-सीमा और चरणबद्ध तरीक़े से उन निर्वाचनों और साथ आयोजित करने के सुझाव देना और संविधान तथा अन्य विधि द्वारा इस संबंध में किसी संशोधनों का भी सुझाव देना, ऐसे नियमों का प्रस्ताव करना जो साथ-साथ चुनाव कराने के लिए आवश्यक हो शामिल है।

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