महाराष्ट्र में शरद पवार पर अविश्वास,दिल्ली में कांग्रेस-AAP में नहीं बन पा रहा विश्वास,INDIA में मची हलचल
विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ की तीसरी बैठक मुंबई में होने जा रही है, लेकिन उससे पहले विपक्षी दलों में आपस में ही सियासी संग्राम छिड़ गया है. दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र और पंजाब तक ‘INDIA’ के सहयोगी दलों के बीच शह-मात का खेल खेला जा रहा है. महाराष्ट्र में शरद पवार और अजित पवार के बीच एक के बाद हो रही बैठक से विपक्षी खेमा में कन्फ्यूजन की स्थिति बन गई है तो दिल्ली में कांग्रेस ने सभी सातों सीट पर चुनाव लड़ने के ऐलान करके आम आदमी पार्टी को नाराज कर दिया है.वही दूसरी तरफ बता दें कि इधर बीते दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली से पटना के लिए रवाना हुए. दिल्ली दौरे में उन्होंने विपक्षी नेताओं के साथ कोई बैठक नहीं की है। वही दूसरी तरफ बता दें कि इधर लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी गठबंधन मजबूती के साथ एकजुट होने की कोशिश में लगा हुआ है. विपक्षी दलों के गठबंधन I.N.D.I.A की तीसरी और अहम बैठक इस महीने की 30 और 31 तारीख को मुंबई में होने वाली है, उससे पहले इस गठबंधन को बनाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दो दिनों से दिल्ली दौरे पर हैं लेकिन आश्चर्यजनक रूप से दिल्ली प्रवास के पहले दिन I.N.D.I.A गठबंधन के किसी नेता से उनकी मुलाकात नहीं हुई है.सिर्फ पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के अलावा नीतीश कुमार किसी सार्वजनिक बैठक में नजर नहीं आए, हालांकि बुधवार को अपने आंख का इलाज करवाने एक बार एम्स अस्पताल का दौरा जरूर किया था. वही दूसरी तरफ बता दें कि इधर देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों से दिल्ली की गद्दी पर कौन बैठेगा यह तय होता है। इसलिए भाजपा यूपी सभी सीटों पर फोकस कर रही है। वहीं लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा के हाथ से खिसक गई 14 लोकसभा सीटों पर भी पार्टी की नजर हैं। आने वाले चुनाव में पार्टी इन सीटों पर भी भाजपा का परचम लहराना चाहती है। विपक्ष ने जहां लोकसभा चुनाव 2024 के लिए आइएनडीआए गंठबंधन तैयार किया है वहीं भाजपा भी पूरी ताकत के साथ तैयारियों में जुटी है। वही दूसरी तरफ बता दें कि इधर लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी पूरे दमखम के साथ अपनी तैयारियों में जुट गई है. बीजेपी का फोकस उत्तर प्रदेश पर है, क्योंकि 2014 और 2019 में देश की सत्ता में काबिज होने में इसी राज्य की अहम भूमिका रही है. पीएम मोदी पूर्वांचल के काशी से सांसद हैं, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी इसी इलाके के गोरखपुर से आते हैं. यही वजह है कि बीजेपी के लिए पूर्वांचल काफी अहम हो जाता है, जिसके चलते ही पार्टी ने अपने दुर्ग को बचाए रखने के लिए जातीय आधार वाले दलों के साथ हाथ मिलाया है. ऐसे ही दक्षिण भारत में भी बीजेपी अपने सियासी समीकरण को मजबूत करने में जुटी है. इसी कड़ी में अब एनडीए सांसदों के साथ मंथन का सिलसिला भी शुरू हो गया है.