बिहार के इस सरकारी स्कूल में आज भी होती है फ्री में कोचिंग क्लासेस,प्राइवेट स्कूल भी फेल है इसके सामने

 बिहार के इस सरकारी स्कूल में आज भी होती है फ्री में कोचिंग क्लासेस,प्राइवेट स्कूल भी फेल है इसके सामने
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बिहार के सीतामढ़ी जिले में दो हजार से भी अधिक सरकारी स्कूल हैं। इनमें कई स्कूलों की व्यवस्था ऐसी है कि उसकी तुलना में निजी स्कूल भी फेल हैं। इन स्कूलों में बच्चों को पढ़ाना अभिभावक गर्व महसूस करते हैं। ऐसे स्कूलों में सोनबरसा प्रखंड का उच्च माध्यमिक विद्यालय, इंदरवा भी है। यह स्कूल औरों से काफी अलग है। प्रखंड ही नहीं, बल्कि जिला में इसकी एक अलग पहचान है। पढ़ाई लिखाई और अनुशासन समेत अन्य मामलों में यह हाई स्कूल काफी अग्रणी रहा है और है भी।जिले का यह पहला और इकलौता हाई स्कूल है, जहां बच्चों को फ्री ट्यूशन की सुविधा दी जाती है। बच्चे सुबह छह से आठ और शाम में छह से नौ बजे तक फ्री ट्यूशन पढ़ते हैं। बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने वाले शिक्षक स्कूल में ही रहते हैं। खास बात यह कि ट्यूशन में 90 फीसदी बच्चे पहुंचते हैं। नामांकित बच्चों की संख्या 1371 है।

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करीब दर्जन भर गांव जानकी नगर, नरकटिया, इंदरवा, दलकावा, पकड़िया, हनुमान नगर, लालबंदी, पटेरवा, लालबंदी पूर्वी, सहोरवा और वसतपुर आदि के बच्चे पढ़ने जाते हैं।स्कूल में बच्चों से लेकर शिक्षक तक अनुशासन में रहते हैं। यह अनिवार्य है। समय पर बच्चे और शिक्षक आते हैं। दो दिन किसी छात्र के स्कूल नहीं आने पर तीसरे दिन अभिभावक को सूचना दी जाती है। चौथे दिन टीसी काटने की व्यवस्था है। कोई राहत नहीं दी जाती है। इस सख्ती से करीब-करीब शत-प्रतिशत बच्चे प्रतिदिन स्कूल आते हैं। अब हॉस्टल नहीं चलता है। कुछ कारणवश वर्षों बाद हॉस्टल बंद कर दिया गया।वर्ष 2009 में इस स्कूल के प्रधान शिक्षक के रूप में भिखारी महतो कार्यभार संभाले थे। तब मिडिल स्कूल था। भूमि 20 डिसमिल थी। महतो प्रयास कर वर्ष 2013 में उच्च माध्यमिक विद्यालय में उत्क्रमित करा पाने में सफल रहे। बच्चों की बढ़ती संख्या के चलते जगह कम पड़ने पर उनकी पहल पर करीब 44 घरों के लोगों ने घर खाली कर जमीन को स्कूल को दे दिया था। घरों और भूमि के एवज में ग्रामीणों ने चंदा कर पैसा चुकता किया था। अब 20 डिसमिल नहीं, बल्कि स्कूल के पास 158 डिसमिल भूमि है। 22 कमरे हैं। 11 शिक्षक हैं। सात निजी शिक्षक हैं, जिनका भुगतान अभिभावक करते हैं। सात चापाकल है। जलस्तर नीचे चले के कारण सभी चापाकल बेकार साबित हो रहे हैं। प्रधान शिक्षक ने बताया कि यह समस्या 15 दिनों से है। नल जल योजना से पानी की आपूर्ति होती है। स्कूल को दो बार स्वच्छता का पुरस्कार मिल चुका है। अब तक कई डीएम, डीडीसी, डीईओ एसएसबी के आईजी और डीआईजी इस स्कूल की व्यवस्था देख संतोष व्यक्त कर चुके हैं।

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