किसान आज बैठक कर लेंगे बड़ा फैसला,सरकार के खिलाफ जारी रहेगा आंदोलन!
पंजाब-हरियाणा बॉर्डर से आज किसानों का कोई भी जत्था दिल्ली के लिए पैदल मार्च फिर से शुरू नहीं करेगा. इसकी जानकारी किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने दी है. रविवार शाम को अंबाला के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ किसान नेताओं की हुई बैठक में स्थानीय प्रशासन ने किसानों से एक दिन का वक्त मांगा था ताकि केंद्र सरकार से उनकी बातचीत करवाने का कोई रास्ता निकाला जाए, लेकिन ये वक्त पूरा हो गया, अब तक केंद्र सरकार की ओर से बातचीत का कोई न्योंता नहीं है.अब आज दोनों फोरमों संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा की बैठक होगी और उसके बाद आगे की रणनीति का ऐलान शाम को किया जाएगा. वहीं, दूसरी ओर खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के अनशन को 14 दिन हो चुके हैं और उनके स्वास्थ्य में काफी गिरावट दर्ज की जा रही है।
डल्लेवाल कैंसर और डायबिटीज के पेशेंट हैं ऐसे में उनके आमरण अनशन में कुछ ना खाने और दवाई ना लेने की वजह से उनकी तबीयत दिन-प्रतिदिन बिगड़ रही है. आज खनौरी बॉर्डर पर डल्लेवाल के समर्थन में सभी किसान अनशन करेंगे और खनौरी बॉर्डर पर चूल्हा नहीं जलेगा.आंदोलनकारी किसानों ने रविवार को शंभू सीमा से दिल्ली के लिए अपना पैदल मार्च स्थगित कर दिया था क्योंकि हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों की ओर से आंसू गैस के गोले दागे जाने से उनमें से कुछ घायल हो गए थे. पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों को हरियाणा में घुसने नहीं दिया था. पंढेर ने यह भी दावा किया है कि किसानों की ओर से राष्ट्रीय राजधानी तक पैदल मार्च करने का फैसला करने के बाद बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार भ्रमित है.पंढेर ने कहा, ‘हरियाणा बीजेपी प्रमुख मोहन लाल बडोली किसानों से पैदल जाने के बजाय राष्ट्रीय राजधानी तक पहुंचने के लिए बसों या ट्रेनों का उपयोग करने के लिए कह रहे हैं .वे खुद भ्रमित हैं. सबसे पहले, केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता रवनीत बिट्टू ने हरियाणा के कृषि मंत्री के साथ मिलकर हमसे कहा कि हम अपने मार्च के लिए ट्रैक्टर ट्रॉलियों का उपयोग न करें. जब हमने उनकी बात मान ली और पैदल ही दिल्ली पहुंचने का फैसला किया, तो वे बसों और ट्रेनों का उपयोग करने का सुझाव दे रहे हैं. यह उनके बीच आम सहमति की कमी को दर्शाता है और स्थिति को संभालने में उनकी अक्षमता को उजागर करता है.’ पंढेर ने जोर देकर कहा कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से आए किसानों को राष्ट्रीय राजधानी के बस स्टैंडों और रेलवे स्टेशनों से हिरासत में लिया गया था, जब वे इस वर्ष की शुरुआत में चल रहे विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के लिए बसों और ट्रेनों में यात्रा कर रहे थे.