नवरात्रि में कैसे करें हवन?जानिए हवन मंत्र,विधि और सामग्री
शारदीय नवरात्रि में हवन एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें सभी देवी और देवताओं को हवन सामग्री का अंश दिया जाता है. हवन के साथ नवरात्रि के 9 दिनों का समापन होता है. अब सवाल यह है कि शारदीय नवरात्रि का हवन कब करते हैं? लोक मान्यताओं के अनुसार शारदीय नवरात्रि का हवन दुर्गा अष्टमी और महा नवमी के दिन करते हैं. ऋषिकेश पंचांग के अनुसार, इस बार दुर्गा अष्टमी 10 अक्टूबर को और महा नवमी 11 अक्टूबर को है।
10 अक्टूबर,दुर्गा अष्टमी-
इस दिन आप सुबह में महागौरी की पूजा करें. उसके बाद नवरात्रि का हवन अभिजित मुहूर्त में 11:45 बजे से दोपहर 12:31 बजे के बीच कर सकते हैं. हालांकि सुबह में शुभ-उत्तम मुहूर्त 07:44 ए एम से 09:13 ए एम तक है, वहीं चर-सामान्य मुहूर्त दोपहर 12:09 पी एम से 01:37 पी एम तक है।
11 अक्टूबर, महा नवमी-
इस दिन पूरे समय सुकर्मा योग है. उसके अलावा रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 05:25 बजे से अगले दिन 12 अक्टूबर को सुबह 06:20 बजे तक है. ऐसे में आप महा नवमी को सुबह में मां सिद्धिदात्री की पूजा करें. उसके बाद हवन कर सकते हैं. हालांकि उस दिन अभिजित मुहूर्त 11:44 बजे से दोपहर 12:31 बजे तक है।
शारदीय नवरात्रि 2024 की हवन सामग्री-
एक हवन कुंड, बेल, चंदन, आम, पीपल और नीम की सूखी लकड़ियां, ब्राह्मी, पलाश, मुलैठी, अश्वगंधा, गूलर की छाल, लोबान, गुग्गल, शक्कर, कपूर, गाय का घी, सूखा नारियल, जौ, चावल, काला तिल, रोली, धूप, दीप, अगरबत्ती, इलायची, लौंग, 5 तरह के फल, पान के पत्ते, शहद, सुपारी, मिठाई, कलावा, गंगाजल, पंचामृत, पैकेट वाली हवन सामग्री, फूलों की माला, फूल, रक्षासूत्र, कुश का एक आसन, हवन पुस्तिका, खीर, पुड़ी आदि।
शारदीय नवरात्रि 2024 हवन मंत्र-
ओम आग्नेय नम: स्वाहा, ओम गणेशाय नम: स्वाहा, ओम गौरियाय नम: स्वाहा, ओम नवग्रहाय नम: स्वाहा, ओम दुर्गाय नम: स्वाहा, ओम महाकालिकाय नम: स्वाहा, ओम हनुमते नम: स्वाहा, ओम भैरवाय नम: स्वाहा, ओम कुल देवताय नम: स्वाहा, ओम स्थान देवताय नम: स्वाहा, ओम ब्रह्माय नम: स्वाहा, ओम विष्णुवे नम: स्वाहा, ओम शिवाय नम: स्वाहा.
ओम जयंती मंगलाकाली, भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमस्तुति स्वाहा.ओम ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा.ओम गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा.ओम शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते.ओम पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा.
शारदीय नवरात्रि हवन विधि-
- सबसे पहले मां दुर्गा की पूजा करने के बाद घर के आंगन में हवन की व्यवस्था करें. हवन सामग्री एकत्र कर लें. हवन स्थान पर एक वेदी बनाकर उस पर हवन कुंड स्थापित करें. इसके बाद एक बड़े से बर्तन में सभी हवन सामग्री जैसे घी, तिल, चावल, जौ, कूपर, लोभान, पलाश, गूलर की छाल, मुलैठी, अश्वगंधा, ब्राह्मी आदि अच्छे से मिला लें.
- इसके बाद कुश के आसन पर बैठें. फिर हवन कुंड में बेल, चंदन, आम, पीपल और नीम की सूखी लकड़ियों को कपूर और उप्पलों की मदद से जलाएं. हवन की अग्नि प्रज्वलित होने के बाद मंत्र पढ़ते हुए हवन सामग्री से आहुति देना शुरू करें.
- हवन के समापन के समय सूखे नारियल में कलावा लपेट दें. उसके ऊपर वाले हिस्से पर पूड़ी, खीर, पान का पत्ता, फल, सुपरी, लौंग, मिठाई आदि रख दें. उसे हवन कुंड के बीचोबीच स्थापित करें. फिर मां दुर्गा की आरती करें. आरती के दीपक को पूरे घर में लेकर जाएं. फिर उस दीपक को शांत करके एक स्थान पर रख दें. कोशिश करें की पूरी हवन सामग्री सही से जल जाए।
नवरात्रि हवन के बाद कन्या पूजा करें. कन्याओं का आशीर्वाद लें. फिर पारण करके नवरात्रि व्रत को पूरा करें।