जी20 के घोषणापत्र में हर जगह भारत की छाप है मौजूद,खाद्य से लेकर ऊर्जा सुरक्षा तक
नई दिल्ली घोषणा पत्र में सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की प्रगति में तेजी लाने पर जोर दिया गया है। इसके तहत उपलब्धियों को हासिल करने के उपायों के साथ भूख और कुपोषण को खत्म करने पर ध्यान किया गया है। साथ ही, खाद्य व ऊर्जा असुरक्षा, वैश्विक स्वास्थ्य को मजबूत करने, वित्त व स्वास्थ्य के बीच समायोजन, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और एसडीजी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए संस्कृति का उत्प्रेरक के तौर पर इस्तेमाल प्रमुख है।घोषणा पत्र में कहा गया है कि 2030 के मध्य बिंदु पर एसडीजी पर वैश्विक प्रगति सिर्फ 12 फीसदी रही है। इस दशक में हम जी-20 की शक्तियों का लाभ उठाएंगे। समयबद्ध तरीके से एसडीजी लक्ष्यों को पूरा करेंगे, ताकि आने वाली पीढ़ियों को वैसी दुनिया दे सकें, जैसा हम चाहते हैं। इसमें वैश्विक खाद्य सुरक्षा और पोषण बढ़ाने के लिए खाद्य सुरक्षा एवं पोषण पर जी-20 डेक्कन उच्चस्तरीय सिद्धांत-2023 के लक्ष्यों को हासिल करने पर जोर दिया गया है।खाद्य सुरक्षा की दिशा में अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास फंड के सदस्यों के जरिये खाद्य असुरक्षा के खिलाफ लड़ाई की बात कही गई है। वैश्विक स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने का संकल्प भी लिया गया है। इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन से सहयोग लिया जाएगा। इसमें महामारी से निपटने और संक्रामक रोगों की निगरानी के लिए तंत्र को मजबूत करने की दिशा में भी काम करने का संकल्प लिया गया है।दूसरे विश्व युद्ध के बाद से दुनिया में आर्थिक विकास, जनसांख्यिकीय, तकनीकी, नई आर्थिक शक्तियों के उदय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग स्थितियों में आमूलचूल परिवर्तन आए हैं। घोषणापत्र में 21वीं सदी की बहुपक्षीय संस्थाओं, बहुपक्षवाद को पुनर्जीवित करने, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में सुधार करने और वैश्विक कर्ज वितरण में कमजोरियों को दूर करने पर विशेष जोर दिया गया है।
घोषणापत्र में बहुपक्षीय विकास बैंक (एमबीडी) में सुधारों की जरूरत पर जोर दिया गया है। इसका उद्देश्य प्राकृतिक और अन्य आपदाओं के समय विशेष रूप से सबसे गरीब एवं आर्थिक रूप से कमजोर देशों को आसानी से राहत देना है। इसमें अंतरराष्ट्रीय वित्त प्रणाली को अधिक वित्त पोषण प्रदान करने की जरूरत पर बल दिया गया है। घोषणा पत्र में एमबीडी को वित्त पोषण के साथ जोखिम क्षमता और क्रेडिट रेटिंग के कामकाज में कुशलता लाने की जरूरत पर प्रकाश डाला गया है।वैश्विक आर्थिक संकटों की वजह से दीर्घकालिक विकास के सामने पेश चुनौतियों से निपटने के लिए नीतियों के पर जोर दिया गया है। असमानताओं को कम करने और आर्थिक वित्तीय स्थिरता के लिए मौद्रिक, राजकोषीय, वित्तीय और संरचनात्मक नीतियां जरूरी। कहा गया है कि जी-20 देशों के केंद्रीय बैंक मूल्यों की स्थिरता पर जोर देंगे, ताकि मुद्रास्फीति को काबू में रखा जा सके। वृद्धि में तेजी और आर्थिक सुधारों के लिए निजी क्षेत्र के साथ मिलकर समावेशी, टिकाऊ और लचीली वैश्विक मूल्य शृंखलाएं बनाएंगे और इनका समर्थन किया जाएगा।21वीं सदी के अनुरूप निष्पक्ष, टिकाऊ अंतरराष्ट्रीय कर प्रणाली की प्रतिबद्धता जताई। इसके मुताबिक, बहुपक्षीय कन्वेंशन (एमएलसी) के तहत काम होगा। सब्जेक्ट टू टैक्स रूल (एसटीटीआर) के विकास पर काम पूरा किया जाएगा। वैश्विक एंटी बेस इरोजन (ग्लोबीई) नियमों को लागू करने के कदमों का स्वागत किया गया। क्रिप्टो एसेट रिपोर्टिंग फ्रेमवर्क पर 2027 तक अमल और सीआरएस में संशोधन की अपील की।पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना एकीकृत, संतुलित, समावेशी आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया है। पर्यावारण संकटों और जलवायु परिवर्तन पर अंकुश लगाने में तेजी लाने की प्रतिबद्धता जताई है। लैंगिक समानता के साथ जलवायु संकट से निपटने में तेजी लाने का फैसला किया है। पर्यावरण नीति ढांचे में महिलाओं की भूमिका, साझेदारी, का समर्थन किया गया है। समूह के नेताओं ने बेहतर सेवाओं के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), समावेशी डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे (डीपीआई) को लेकर अंतरराष्ट्रीय सहयोग और आगे और विचार करने पर जोर दिया। नेताओं ने इसके इस्तेमाल को लेकर एक सुरक्षित, भरोसेमंद, जवाबदेह और समावेशी डीपीआई की जरूरत बताया।