बिहार में जाति गणना पर लगी अंतरिम रोक,पटना हाईकोर्ट से लगा नीतीश सरकार को बड़ा झटका
बिहार में जातीय जनगणना पर रोक लगाने की मांग को लेकर दायर की गई याचिका पर गुरुवार को पटना हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है. बिहार सरकार के फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया था कि तीन दिन में सुनवाई कर पटना हाई कोर्ट इस मामले में अंतरिम आदेश दे. बिहार सरकार की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही पटना हाई कोर्ट में अपनी दलील रख रहे थे.ऐसे में बता दें कि अब नीतीश सरकार को बड़ा झटका लगा है.पटना हाईकोर्ट में जातीय गणना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर बहस के दौरान नीतीश सरकार की ओर से अपना पक्ष रखा गया था। दरअसल राज्य सरकार ने कहा कि राज्य सरकार को गणना कराने का अधिकार है। यह जनगणना नहीं है। इसमें आर्थिक रूप से पिछड़े समेत अन्य लोगों की गणना करनी है। उन्होंने कहा कि जाति आधारित गणना में लोगों से 17 प्रश्न पूछे जा रहे हैं। इनसे किसी की भी गोपनीयता भंग नहीं हो रही है। महज कुछ लोग जातिगत गणना का विरोध कर रहे हैं। बाकी सभी खुलकर अपनी जाति बता रहे हैं और सवालों का जवाब दे रहे हैं।वही आपको जानकारी देते चले कि बिहार सरकार के इस फैसले को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता ने अदालत में दलील देते हुए कहा कि नीतीश सरकार ने इस बात का कहीं भी जिक्र नहीं किया कि जातीय गणना क्यों कराई जा रही है। इसके लिए इमरजेंसी फंड से 1500 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं, जबकि इससे पैसा निकालने के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य होता है। इसके जवाब में महाधिवक्ता पीके शाही ने कहा कि जातिगत गणना का प्रस्ताव दोनों सदनों से सर्वसम्मति से पारित हुआ था। साथ ही राज्य कैबिनेट ने इसके लिए बजट का प्रावधान किया है, इमरजेंसी फंड से एक भी पैसा खर्च नहीं किया जा रहा है।