छात्रसंघ के विरोध के आगे झुंकी जेएनयू प्रशासन,अब JNU में होगी जाति जनगणना
जेएनयू में पिछले15 दिन से चल रही छात्रसंघ की भूख हड़ताल के बाद कुछ मांगों पर सहमति बन गई है. साथ ही बाकी फंड बढ़ाने के लिए जेएनयू एडमिशन ने यूजीसी को पत्र लिखा है. इस पर JNUSU का कहना है कि ये हमारी आंशिक जीत है. मेरिट कम मींस स्कॉलरशिप 5000 रुपए प्रति माह करने की मांग थी. इसमें अभी तक 2000 रूपए प्रति माह मिल रहे हैं. जेएनयू प्रशासन ने इस मांग को सैद्धांतिक तौर पर मानते यूजीसी को पत्र लिखा है।इसके अलावा जो मांगें मानी गई हैं उसमें, प्रवेश के लिए पुरानी इन-हाउस प्रवेश परीक्षा प्रणाली, जेएनयू प्रवेश परीक्षा को बहाल करना, परिसर की जाति जनगणना आयोजित करना, छात्रवृत्ति राशि बढ़ाना और प्रवेश के लिए मौखिक परीक्षा को दिए गए वेटेज में कमी का प्रस्ताव शामिल हैं।
हालांकि इसके बाद भी छात्रसंघ ने अपनी भूख हड़ताल खत्म नहीं की है।छात्रसंघ ने बताया कि जेएनयू प्रशासन छात्रों की 12 प्रमुख मांगों में से छह को स्वीकार करने पर सहमत हो गया है. इनमें छात्रों के प्रवेश के लिए जेएनयू प्रवेश परीक्षा (जेएनयूईई) की पुरानी व्यवस्था को बहाल करने, परिसर में जाति आधारित गणना कराने, छात्रवृत्ति की राशि में वृद्धि करने और प्रवेश के दौरान मौखिक परीक्षा का भारांक कम करने जैसे मुद्दे शामिल हैं।छात्रसंघ के मुताबिक बातचीत के दौरान प्रशासन ने इन मुद्दों को स्वीकार करने की मौखिक सहमति दी. इस सहमति के बावजूद छात्रसंघ ने अपना विरोध जारी रखा है और अध्यक्ष धनंजय तथा काउंसलर नीतीश कुमार भूख हड़ताल पर हैं, जो आज 16वें दिन में प्रवेश कर गया।