बिहार के शिक्षकों और शिक्षा दोनों को सुधार करके हीं दम लेंगे केके पाठक,बिहार के छात्रों के लिए बनेंगे बादशाह
अंधेरी रातों में सुनसान राहों पर, हर जुल्म मिटाने को, एक मसीहा निकलता है। जिसे लोग शहंशाह कहते हैं।’ 90 के दशक में बिहार के बच्चों का सुपरमैन, करीब हर घर में ऑडियो कैसेट में बजता यही गाना, काली लेदर जैकेट का वो जमाना। लेकिन साथ ही एक क्लियर मैसेज भी कि रात के अंधेरे में ही कानून तोड़ने वालों को दुरुस्त किया जाता है। कुछ ऐसा ही काम बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव और कड़क आईएएस केके पाठक भी कर रहे हैं। वो शहंशाह के अमिताभ बच्चन वाले किरदार की तरह अंधेरी रातों में बाहर निकलते हैं।
इसी कड़ी में केके पाठक गुरुवार की रात 10 बजकर 50 मिनट पर भागलपुर पहुंच गए। यहां उनके लिए सर्किट हाउस में पहले से दो कमरे बुक थे। लेकिन वहां न जाकर पाठक होटल चिन्मया के एक कमरे में रुक गए।इससे पहले केके पाठक बेगूसराय और भोजपुर के बिहियां में भी रात में ही टीचर ट्रेनिंग सेंटर पहुंच गए थे। खैर, अपर मुख्य सचिव के के पाठक ने इस बार गुरुवार की रात होटल में ही आराम किया। इसके बाद वो शुक्रवार की सुबह-सुबह अपने दौरे पर निकल पड़े। पाठक ने सबसे पहले भागलपुर में टीचर ट्रेनिंग कॉलेज का रुख किया। इस दौरान भागलपुर के शिक्षा विभाग और प्रिंसिपलों-टीचरों की बेचैनी बढ़ गई।खैर, केके पाठक ने टीचर ट्रेनिंग कॉलेज का अच्छे से जायजा लिया। इस दौरान उनके साथ भागलपुर के जिलाधिकारी सुब्रत सेन भी थे। निरीक्षण के दौरान केके पाठक ने जिलाधिकारी से कई जानकारियां लीं और फिर कुछ निर्देश भी दिए। इसी बीच उन्होंने टीचर ट्रेनिंग कॉलेज की रसोई भी देखी। लेकिन उनके इस दौरे को लेकर भागलपुर शिक्षा विभाग में जबरदस्त हड़कंप मचा रहा। ज्यादातर स्कूलों से यही सवाल सामने आ रहे थे कि ‘पाठक सर यहां भी आएंगे क्या?’अब सवाल ये कि केके पाठक अपने दौरे के लिए रात के वक्त को ही क्यों चुनते हैं? क्यों रात में ही वो ज्यादातर जगहों का निरीक्षण करते हैं। जानकारों का कहना है कि रात के वक्त ही किसी जगह की असल सच्चाई सामने आती है। क्योंकि रात में झूठ छिपाने का मौका नहीं मिलता। ऐसे में केके पाठक रात या फिर देर शाम ही निरीक्षण करना ज्यादा पसंद करते हैं, ताकि सच सामने रहे।