जानिए क्या है शिमला समझौता?पाकिस्तान के कड़े फैसले से भारत को उठानी पड़ेगी परेशानी!

भारत की ओर से लिए गए इन कड़े फैसलों के बाद पाकिस्तान ने गुरुवार को राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक की। जिसमें पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि रोकने के भारत के फैसले को युद्ध जैसा कृत्य बताया है। इसके साथ ही पाकिस्तान ने शिमला समझौते समेत द्विपक्षीय समझौते स्थगति करने की भी बात कही है। पहलगाम हमले के बाद दोनों देशों के बीच जारी तनाव के चलते एक बार फिर शिमला समझौता चर्चा में है।1971 में भारत-पाक युद्ध के बाद उनके 90 हजार से ज्यादा सैनिकों को युद्ध बंदी बनाया गया था। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में सुधार, पाक युद्ध बंदियों को छुड़ाने की कवायद शुरू हुई। फिर दोनों देशों के बीच बेहतर संबंध के लिए 2 जुलाई 1972 को शिमला में एक समझौता हुआ।दोनों देशों ने 17 सितंबर 1971 को युद्ध विराम के रूप में मान्यता दी। तय हुआ कि इस समझौते के 20 दिनों के अंदर दोनों देशों की सेनाएं अपनी-अपनी सीमा में चली जाएंगी।यह भी तय हुआ कि दोनों देशों/सरकारों के अध्यक्ष भविष्य में भी मिलते रहेंगे। संबंध सामान्य बनाए रखने के दोनों देशों के अधिकारी बातचीत करते रहेंगे।दोनों देश सभी विवादों और समस्याओं के शांतिपूर्ण समाधान के लिए सीधी बातचीत करेंगे। तीसरे पक्ष द्वारा कोई मध्यस्थता नहीं की जाएगी।यातायात की सुविधाएं स्थापित की जाएंगी। ताकि दोनों देशों के लोग आसानी से आ-जा सकें।जहां तक संभव होगा, व्यापार और आर्थिक सहयोग फिर से स्थापित किए जाएंगे।अगर दोनों देशों के बीच किसी समस्या का अंतिम निपटारा नहीं हो पाता है और मामला लंबित रहता है, तो दोनों पक्ष में से कोई भी स्थिति में बदलाव करने की एकतरफा कोशिश नहीं करेगा।दोनों पक्ष ऐसे कृत्यों के लिए सहायता, प्रोत्साहन या सहयोग नहीं करेंगे जो शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने में हानिकारक हैं।

दोनों देश एक दूसरे की प्रादेशिक अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करेंगे। समानता एवं आपसी लाभ के आधार पर एक-दूसरे के आंतरिक मामले में दखल नहीं देंगे। दोनों सरकारें अपने अधिकार के अंदर ऐसे उग्र प्रॉपेगेंडा को रोकने के लिए हर संभव कदम उठाएंगी जिनके निशाने पर दोनों में से कोई देश हों। दोनों देश इस तरह की सूचनाएं आपस में साझा करने को प्रोत्साहन देंगे।संचार के लिए डाक, टेलीग्राफ सेवा, समुद्र, सीमा डाक समेत सतही संचार माध्यमों, उड़ान समेत हवाई लिंक बहाल करेंगे।शांति की स्थापना, युद्धबंदियों और शहरी बंदियों की अदला-बदला के सवाल, जम्मू-कश्मीर के अंतिम निपटारे और राजनयिक संबंधों को सामान्य करने की संभावनाओं पर काम करने के लिए दोनों पक्षों के प्रतिनिधि मिलते रहेंगे और आपस में चर्चा करेंगे।दोनों देशों के बीच सहमति बनी कि जहां तक संभव होगा आर्थिक और अन्य सहमति वाले क्षेत्रों में व्यापार और सहयोग बढ़ेगा।विज्ञान और संस्कृति के मैदान में आदान-प्रदान को बढ़ावा देने की सहमति बनी।