रुपौली में हुई एनडीए के हार पर बोले कुशवाहा-2005 के पहले वाले को भी जनता ने नकार दिया..

 रुपौली में हुई एनडीए के हार पर बोले कुशवाहा-2005 के पहले वाले को भी जनता ने नकार दिया..
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पूर्णिया के रुपौली विधानसभा क्षेत्र का उपचुनाव का मतगणना खत्म हो चुका है. इस सीट पर 2005 से लगातार जनता दल यूनाइटेड कब्जा जमाती रही है और जेडीयू से बीमा भारती लगातार चुनाव जीतती रही थीं, लेकिन इस बार के उपचुनाव में बीमा भारती तीसरे नंबर पर चली गईं हैं. वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू भी अपनी साख नहीं बचा पाई और दूसरे नंबर पर रह गई. इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह ने बाजी मारी है. जेडीयू प्रत्याशी कलाधर प्रसाद मंडल 8,204 वोटों से चुनाव हार गए.वहीं, इस रिजल्ट पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आनी शुरू हो गई हैं. आरएलएम प्रमुख व राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने एक्स पर पोस्ट कर एनडी को चेताया है. साथ ही उन्होंने इशारों में यहां संकेत दिया कि आरजेडी को लोग अब भी अपनाने को तैयान नहीं हैं.उपेंद्र कुशवाहा ने एक्स पर लिखा कि ‘रुपौली (पूर्णिया) में जद (यू.) उम्मीदवार की हार एनडीए के लिए माथे पर शिकन पैदा करने वाली है, परन्तु संतोष इस बात की है कि जनता राज्य में 2005 के पहले की स्थिति के जिम्मेवार पार्टी को बख्शने को अभी भी तैयार नहीं है. उप चुनाव का यह साफ संदेश है.रुपौली विधानसभा उपचुनाव का मुकाबला पूरी तरह त्रिकोणीय रहा. जीत दर्ज करने वाले निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह को 67,782 मत प्राप्त हुए, जबकि दूसरे नंबर पर सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के प्रत्याशी कलाधर प्रसाद मंडल को 59,578 वोट मिले. वहीं, रुपौली से लगातार पांच बार विधायक रहने वाली बीमा भारती को मात्र 30,114 वोट मिले हैं. रुपौली विधानसभा सीट पर 2005 से लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कब्जा रहा है. हालांकि यहां से बीमा भारती ही जेडीयू के सिंबल पर चुनाव जीतती आई हैं, लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में बीमा भारती के राजद में जाने से नीतीश कुमार ने कलाधार प्रसाद मंडल पर भरोसा जताया था, लेकिन कलाधार प्रसाद मंडल भरोसा में खरे नहीं उतर पाए.कलाधर प्रसाद मंडल की पहचान स्वच्छ छवि की है. 2001 से 2006 तक वह अपने पंचायत के मुखिया रहे. 2007 से 2020 तक वह सरकारी शिक्षक भी रहे. 2024 के लोकसभा चुनाव में वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी में शामिल हो गए थे. जेडीयू में वह काफी कम समय रहे. ऐसे में माना जा रहा है कि जेडीयू के वोटरों को वह अपने पाले में लाने में पूरी तरह कामयाब नहीं हो पाए. साथ ही पुराने जेडीयू कार्यकर्ताओं का रोष भी इस चुनाव में देखने को मिला है. चुनाव जीतने वाले शंकर सिंह सवर्ण हैं और सवर्ण का वोट एनडीए को जाता है, लेकिन शंकर सिंह ने सवर्ण के वोटो को काटकर जेडीयू के लिए मुसीबत खड़ा कर दिया है. यह भी हार का एक कारण जेडीयू के लिए बना है.हलांकि यह उपचुनाव है. इससे सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है और इसमें जीत का अंतर बहुत ज्यादा नहीं है इसलिए एनडीए के नेता भी इस पर ज्यादा चिंतित नहीं हो रहे हैं।

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