गिफ्ट लेने वाली बातों को महुआ मोइत्रा ने की स्वीकार,बोली-हीरानंदानी से गिफ्ट में लिया था स्कार्फ,लिपस्टिक और मेकअप
कैश फॉर क्वेरी मामले में फंसीं तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने कुछ खुलासे किए हैं. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद निशिकांत दुबे के आरोपों को खारिज किया, लेकिन यह माना कि उन्होंने अपनी लोकसभा की आईडी का लॉगइन पासवर्ड बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी के साथ शेयर किया था. महुआ मोइत्रा ने यह भी कबूल किया कि उन्होंने हीरानंदानी से कुछ गिफ्ट्स लिए थे।महुआ मोइत्रा ने बताया कि हीरानंदानी ने उन्हें कुछ गिफ्ट्स दिए थे, जिनमें एक स्कार्फ, लिपस्टिक, मेकअप और मुंबई जाने के लिए एक कार और ड्राइवर शामिल है. उन्होंने बताया कि मेकअप का सामान हीरानंदानी ने दुबई के ड्यूटी फ्री स्टोर से लिए थे. इसके अलावा, बंगले के रिनोवेशन के लिए पैसे लेने के आरोपों को महुआ मोइत्रा ने खारिज करते हुए कहा कि उन्हें जो सरकारी बंगला आवंटित किया गया वह पुराना सा था।
इस वजह से उन्होंने बंगले को री-डिजाइन कराने के लिए हीरानंदानी से आर्किटेक्ट को बुलाने के लिए पूछा था. महुआ मोइत्रा ने कहा कि उनका बंगला सीपीडब्ल्यूडी ने डिजाइन किया, निजी कंपनी ने बंगले को हाथ तक नहीं लगाया।महुआ मोइत्रा ने हीरानंदानी को लोकसभा आईडी का लॉगइन पासवर्ड देने के आरोपों पर कहा कि उन्होंने लॉगइन पासवर्ड दिया जरूर था, लेकिन सवालों को सब्मिट करने के लिए ओटीपी की जरूरत होती है, जो उनके फोन पर आता है. महुआ मोइत्रा ने कहा कि संसद में सवाल करने के दो तरीके होते हैं कि एक ये कि हाथ से सवाल लिखकर, साइन करके सब्मिट कर दो. साल 2019 से सवाल सब्मिट करने की ऑनलाइन भी व्यवस्था की गई है. महुआ मोइत्रा ने कहा, ‘हर सेशन से पहले हमें अपने सवाल जमा करने के लिए कहा जाता है. मैं उन्हें खुद टाइप कर सब्मिट कर सकती हैं, लेकिन मेरे पास सुदूर निर्वाचन क्षेत्र हैं इसलिए मेरे पास ज्यादा टाइम नहीं होता है. इस वजह से मैंने दर्शन से उनके ऑफिस से किसी से सवाल टाइप कराने के लिए कहा था. दर्शन को लॉगइन-पासवर्ड देते वक्त मैंने कहा था कि मेरे सवालों को टाइप करके कोई सब्मिट कर देगा, जिसके लिए ओटीपी की जरूरत होती है. ओटीपी के लिए मेरा मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड है, दर्शन हीरानंद का नहीं. सवाल टाइप करने के बाद दर्शन के लोग मुझे कॉल करते थे और मैं एक बार सवाल पढ़ लेती थी. फिर मेरे फोन नंबर पर आए ओटीपी के जरिए सवाल सब्मिट किए जाते थे।