नीतीश कुमार के आर्थिक सर्वे वाली रिपोर्ट पर भड़के मांझी,कहा-मुसहर-भुइयां के 1% लोग भी अमीर मिले तो राजनीति छोड़ दूंगा
बिहार विधानसभा में मंगलवार को पेश की गई विस्तृत जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान सत्तापक्ष और विपक्षी नेताओं के बीच तीखी नोकझोंक होने के साथ दोनों इस कवायद का श्रेय लेने की कोशिश करते दिखे। बिहार सरकार ने 215 अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अत्यंत पिछड़ा वर्ग की आर्थिक स्थिति पर रिपोर्ट और जाति आधारित सर्वेक्षण के आंकड़ों का दूसरा भाग मंगलवार को विधानसभा में पेश किया। राज्य विधानसभा में रिपोर्ट पेश करते हुए बिहार के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा, ‘जाति सर्वेक्षण अभ्यास का सफल समापन महागठबंधन सरकार की एक बड़ी उपलब्धि है। केंद्र को हमसे सबक सीखना चाहिए।’ लेकिन इसके बाद पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने सीएम नीतीश कुमार को बड़ी चुनौती दे डाली।बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने चर्चा में भाग लेते गलत आंकड़ों का आरोप लगाया और महागठबंधन सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘हम जाति-आधारित सर्वेक्षण के लिए नीतीश कुमार को धन्यवाद देना चाहते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में मुसहर समुदाय के 45 प्रतिशत से अधिक लोग अमीर हैं और भुइयां समुदाय के 46 प्रतिशत लोग भी समृद्ध हैं।
इसके लिए नीतीश जी को बधाई । मैं राज्य मंत्री विजय कुमार चौधरी से उस गांव का दौरा करने के लिए कह रहा हूं, जहां से डेटा एकत्र किया गया था। अगर हमें मुसहर और भुइयां समुदाय के एक प्रतिशत से अधिक लोग अमीर मिले, तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा।’सदन में जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश किए जाने के तुरंत बाद चर्चा की शुरुआत करते हुए विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा ने कहा, ‘इस जाति आधारित सर्वेक्षण की नींव राज्य में राजग शासन के दौरान रखी गई थी। भाजपा सदस्यों ने जाति सर्वेक्षण के प्रस्ताव का समर्थन किया। भाजपा हमेशा गरीबों के कल्याण के पक्ष में है।’ सिन्हा ने कहा, ‘भाजपा ने कभी जाति सर्वेक्षण का विरोध नहीं किया लेकिन जब रिपोर्ट आई…, जिस तरह से रिपोर्ट तैयार की गई, वह विसंगतियों से भरी थी। सरकार ने उन लोगों की जानकारी नहीं दी जो बेरोजगार हैं। बेरोजगारी के मुद्दे पर चुप क्यों है सरकार? महागठबंधन सरकार में शामिल कांग्रेस ने अन्य पिछड़ा आयोग (ओबीसी) को संवैधानिक दर्जा नहीं दिया। भाजपा हमेशा पिछड़े वर्गों और महिलाओं की भलाई के लिए काम करती है। हमारे प्रधानमंत्री ओबीसी वर्ग से हैं। अति पिछड़ों के आंकड़ों को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि अगर महागठबंधन सरकार वास्तव में इस समुदाय की भलाई के बारे में चिंतित है, तो उन्हें इस समुदाय से किसी को मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री घोषित करना चाहिए।वरिष्ठ भाजपा विधायक नंद किशोर यादव ने कहा, ‘जाति-सर्वेक्षण करने का निर्णय राज्य में राजग शासन के दौरान लिया गया था। रिपोर्ट में कई विसंगतियां हैं, जिन्हें स्पष्ट करने की जरूरत है। सबसे पहले आंकड़े पंचायतवार देने चाहिए थे। इसके अलावा, सरकार ने दावा किया है कि राज्य में साक्षरता दर में वृद्धि हुई है, लेकिन अत्यंत पिछड़े वर्गों के लिए सीटें खाली रह गई हैं, इसका क्या? रिपोर्ट में कहा गया है कि 12वीं उत्तीर्ण करने वाले लोगों की कुल संख्या कुल जनसंख्या का 9.19 प्रतिशत है…यह चौंकाने वाला है। इसी तरह राज्य में स्नातकों की कुल संख्या मात्र 6.11 फीसदी है। इसलिए, इन आंकड़ों से रिक्तियां कैसे भरी जाएंगी?’ चर्चा में भाग लेते हुए, भाकपा माले के विधायक अजीत कुशवाहा ने कहा, ‘हम सभी इस रिपोर्ट को लाने के लिए महागठबंधन सरकार और हमारे मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हैं, लेकिन मैं एक बात कहना चाहूंगा कि रिपोर्ट में उन लोगों का भी डेटा होना चाहिए जो राज्य में भूमिहीन हैं।’