हार के बाद एक्शन में आई मायावती,उपचुनाव में दिखाएंगी दम

 हार के बाद एक्शन में आई मायावती,उपचुनाव में दिखाएंगी दम
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लोकसभा चुनाव के बाद अब उत्तर प्रदेश में दस विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. 2024 में सब कुछ गंवा चुकी बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती अब दोबारा से पार्टी के खिसक चुके सियासी आधार को वापस लाने के लिए उपचुनाव में मैदान में उतरने की स्ट्रैटजी बनाई है. अभी तक बसपा उपचुनाव से दूरी बनाए रखती थी, लेकिन सियासी ठोकर लगने के बाद अब बसपा ने सियासी किस्मत आजमाने का फैसला किया है. सूबे की दस सीटों पर होने वाले उपचुनाव के जरिए कमबैक करने के लिए बसपा ने मजबूत प्रत्याशियों की तलाश शुरू कर दी है.बसपा अकेले चुनावी मैदान में उतरी थी और एक सीट भी नहीं जीत सकी. उत्तर प्रदेश में बसपा ने अपनी दस सीटें भी गंवा दी और वोट शेयर 10 फीसदी से भी कम हो गया है. बसपा यूपी में 9.39 फीसदी वोट के साथ उसी जगह पर खड़ी हैं, जहां पर 1989 के चुनाव में थी. इस बार मायावती के कोर वोटबैंक माने जाने वाले जाटव समुदाय में भी अच्छी-खासी सेंध लगी है. 2024 की हार ने बसपा को अंदर तक हिलाकर रख दिया है. इसके चलते ही बसपा ने अपनी रणनीति में बदलाव किया और सूबे की सियासत में कमबैक के लिए उपचुनाव में उतरने का प्लान बनाया है.लोकसभा चुनाव में मिली हार की समीक्षा करने के लिए बसपा प्रमुख मायावती 20 जून के बाद किसी भी दिन बैठक बुला सकती हैं. समीक्षा बैठक में बसपा के सभी पदाधिकारियों को बुलाया जाएगा. हालांकि, चार जून को नतीजे आने के अगले दिन ही बसपा प्रमुख ने वरिष्ठ नेताओं के साथ हार के कारणों पर विस्तृत रिपोर्ट लेकर उस पर चर्चा की थी और जिन क्षेत्रों में पहले से ज्यादा खराब प्रदर्शन रहा, वहां के कोआर्डिनेटरों से लेकर जिला स्तर के पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए हैं. अब मायावती प्रदेश और देशभर के पदाधिकारियों के साथ बैठक करने जा रही हैं. इस दौरान मायावती मौजूदा परिस्थिति में बसपा को नए सिरे से खड़ा करने की रणनीति पर रोडमैप रखेंगी.सूत्रों ने बताया है बसपा प्रमुख मायावती समीक्षा बैठक में यूपी के 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर भी अपना प्लान सामने रखेंगी. उन्होंने बताया कि उपचुनाव लड़ने की हरी झंडी मायावती ने दे दी है और उसके लिए मजबूत प्रत्याशी की भी तलाश करने के लिए कोआर्डिनेटरों को दिशा-निर्देश दिए हैं. बसपा ने ऐसे नेताओं को चुनाव लड़ाने की प्लानिंग बनाई है, जिनका उन सीटों पर अपना सियासी आधार हो. उनका मानना है कि अगर बसपा उपचुनाव नहीं लड़ेगी तो पार्टी का बचा-कुछा आधार भी खिसक जाएगा. इसके लिए सिर्फ उपचुनाव में उम्मीदवार ही नहीं उतारने बल्कि अभी से उन सीटों पर तैयारी शुरू करने के लिए भी संकेत दे दिए हैं.उत्तर प्रदेश में 9 विधायक 2024 के लोकसभा चुनाव में सांसद बन गए हैं, जिसके चलते उनकी सीटें खाली हो गई हैं. बीजेपी से अलीगढ़ की खैर से विधायक अनूप वाल्मिकी हाथरस से सांसद बने, गाजियाबाद से विधायक अतुल गर्ग गाजियाबाद से सांसद बने, फूलपुर से विधायक प्रवीण पटेल फूलपुर से सांसद बने हैं, मिराजापुर के मंझवा से विधायक विनोद बिंद भदोही से सांसद चुने गए हैं. बीजेपी के चार विधायकों ने अपनी-अपनी विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है, जिसके चलते खैर, गाजियाबाद, फूलपुर और मंझवा विधानसभा सीट खाली हो गई है. इसके अलावा मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीटे से आरएलडी के विधायक चंदन चौहान अब बिजनौर से सांसद बन गए हैं, जिसके चलते मीरापुर विधानसभा सीट रिक्त हो गई है.सपा विधायकों के सांसद चुने जाने की फेहरिस्त देखें तो चार नेता हैं. करहल से विधायक अखिलेश यादव ने कन्नौज से सांसद चुने जाने के बाद अपनी विधायकी छोड़ दी है. इसी तरह मुरादाबाद के कुंदरकी से सपा के विधायक जिया उर्रहमान बर्क संभल से सांसद चुने गए हैं. अयोध्या के मिल्कीपुर से सपा के विधायक रहे अवधेश प्रसाद फैजाबाद से सांसद चुन लिए गए तो अंबेडकरनगर के कटेहरी से लालजी वर्मा अंबेडकरनगर से सांसद बने हैं. इसके अलावा सपा विधायक इरफान सोलंकी को सात साल की सजा हुई है, जिसके चलते उनकी सदस्यता पर तलवार लटक रही है. कानपुर के आर्यनगर से इरफान सोलंकी विधायक हैं और जल्द ही उनकी सीट भी रिक्त होने वाली है.लोकसभा चुनाव के बाद जल्द ही यूपी में दस विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं. इस दौरान भी एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी, लेकिन मायावती ने भी चुनाव लड़ने का इरादा करके मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की स्ट्रैटेजी है. नगीना से जीत के बाद चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि उनकी आजाद समाज पार्टी आने वाले उपचुनाव में मजबूती से लड़ेगी. ऐसे में मायावती की मुश्किल ये हैं कि अगर बसपा इन उपचुनाव में अपने उम्मीदवारों को नहीं उतारती है तो दलित वोटों में चंद्रशेखर आजाद सेंध लगा सकते हैं.लोकसभा चुनाव के बाद कहा जा रहा है कि मायावती अगर उपचुनाव नहीं लड़ती है तो दलित वोटर बसपा के विकल्प में चंद्रशेखर की ओर रुख कर सकते हैं. हालांकि, नगीना सीट पर चंद्रशेखर आजाद को मिली जीत में दलित समुदाय से ज्यादा भूमिका मुस्लिम समुदाय की है. नगीना में मुसलमानों का 80 फीसदी वोट चंद्रशेखर को मिला था जबकि दलितों का वोट उन्हें 25 फीसदी भी नहीं मिल सका. चंद्रशेखर की सियासी इमारत मुस्लिम वोटों के आधार पर खड़ी है, लेकिन दलित समुदाय को श्रेय देकर बसपा का विकल्प बनना चाहते हैं. इसीलिए मायावती ने यूपी की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में पूरे दमखम के साथ लड़ने का प्लान बनाया है।

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