2030 तक 30 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहनों को सड़कों पर उतारने का मोदी सरकार ने रखा लक्ष्य,अब भारत में भी सरपट चलेगी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स
दुनिया भर में तेजी से बढ़ते कार्बन उत्सर्जन की वजह से जहरीले होते जा रहे धरती के पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में भारत के नीति आयोग ने भी महत्वपूर्ण कदम उठाना शुरू किया है. आयोग ने भारत के कार्बन पदचिह्न को कम करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को अधिकतम संख्या में चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने और इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने की कवायद शुरू की है. इसके लिए एक दिन पहले शुक्रवार (13 अक्टूबर) को “महारत्नों” के साथ एक बैठक की है।नीति आयोग के सलाहकार सुधेंदु सिन्हा ने मीटिंग की अध्यक्षता की. उन्होंने कहा, “जहां तक इलेक्ट्रिक मोबिलिटी का सवाल है, यह राष्ट्रीय हित में है और इसीलिए इस पर जोर दिया गया है।
वे (महारत्न) अपने तरीके से इस पर काम करने की कोशिश कर रहे हैं और हम सिर्फ ये समझना चाहते थे कि वे क्या योजना बना रहे हैं और किस प्रकार आगे बढ़ रहे हैं. महारत्नों के पास बहुत अच्छी संख्या में बेड़े (ईवी) हैं और इसलिए हम जानना चाहते थे कि वे इसे कैसे आगे बढ़ाने का प्रस्ताव रखते हैं. बैठक सकारात्मक रही. “नरेंद्र मोदी सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक नए निजी वाहन पंजीकरण में 30 फीसदी ईवी शामिल हों. अगर यह लक्ष्य हासिल होता है तो 2030 तक 8 करोड़ इलेक्ट्रिक वाहन भारत की सड़कों पर चलेंगे, जो कार्बन उत्सर्जन कम करने में बड़ा प्रभावी होगा।सड़कों पर बैटरी की चार्ज खत्म हो जाने के बाद बिना रुके ये वाहन गंतव्य की और बढ़ते रहें, इसके लिए भारत को कुल 39 लाख सार्वजनिक और अर्ध-सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन की आवश्यकता होगी. प्रति 20 वाहनों पर 1 स्टेशन के अनुपात में देश को कुल 46,000 चार्जिंग स्टेशनों की आवश्यकता होगी. वर्तमान अनुपात, प्रति 135 ईवी पर लगभग 1 चार्जिंग स्टेशन है. यह प्रति 6 से 20 ईवी पर 1 चार्जिंग स्टेशन के वैश्विक अनुपात से काफी कम है।