बिहार में हो रहे जातिगत जनगणना पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची मोदी सरकार,नीतीश कुमार की बढ़ी टेंशन
‘जनगणना अधिनियम के तहत जनगणना कराने का अधिकार सिर्फ केंद्र को है। हालांकि, कोई भी सर्वेक्षण करने और डेटा एकत्र करने के लिए स्वतंत्र है। भाजपा कह रही थी कि ये सर्वे है, जनगणना नहीं। यही बात पटना हाईकोर्ट ने भी कही कि राज्य को सर्वेक्षण करने का अधिकार है।’ ये बातें कहकर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने कास्ट सर्वे का समर्थन किया है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में केंद्र सरकार ने जातिगत सर्वे का विरोध किया है। हलफनामे के मुताबिक राज्य सरकार को इस तरह के सर्वेक्षण का अधिकार ही नहीं है।वहीं, केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसके अलावा किसी को भी जनगणना या इस तरह की कोई प्रक्रिया अपनाने का अधिकार नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट में विचार के लिए संवैधानिक और कानूनी स्थिति रखते हुए बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं के जवाब में केंद्रीय गृह मंत्रालय के रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय की ओर से एक संक्षिप्त हलफनामा दाखिल किया गया।हलफनामे में कहा गया है कि जनगणना का विषय संविधान की सातवीं अनुसूची में प्रविष्टि 69 के तहत संघ सूची में शामिल है और जनगणना अधिनियम 1948 केवल केंद्र सरकार को जनगणना करने का अधिकार देता है। संविधान के तहत या अन्यथा (केंद्र को छोड़कर) कोई भी अन्य निकाय जनगणना या ऐसी कोई कार्रवाई करने का हकदार नहीं है। इसने ये भी स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार भारत के संविधान और अन्य लागू कानूनों के प्रावधानों के अनुसार एससी/एसटी/एसईबीसी और ओबीसी के उत्थान के लिए सभी सकारात्मक कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है।