चुनाव से पहले एकजुट होना शुरू हो गया मुस्लिम समाज,बिहार में इसबार दिखेगा दबदबा!

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सियासी हलचल तेज हो चुकी है. चुनाव आयोग ने बिहार में तैयारी शुरू कर दी है. सभी 243 विधानसभा सीटों के लिए अक्टूबर या नवंबर में चुनाव होने हैं. निर्वाचन आयोग ने बिहार के 200 से ज्यादा बूथ लेवल एजेंटों को प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया है.इस साल के घटनाक्रमों में बिहार चुनाव सबसे अहम है. इस दौरान सत्ता पर काबिज नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार की वापसी की उम्मीद है, वहीं विपक्ष भी अपना दम दिखाने की कोशिश करेगा. ऐसे में जान लेते हैं कि आखिर बिहार में कितने मुसलमान हैं और वहां पर कौन सा वोट बैंक सबसे बड़ा है. भारत विविधताओं से भरा देश है, जहां सभी धर्म, संस्कृति और विविधताओं के लोग रहते हैं. यहां पर मुसलमानों की जनसंख्या कुल जनसंख्या का 14.2% है. हिंदू धर्म के बाद यह सबसे बड़ा धर्म माना जाता है. 2011 की जनगणना की मानें तो देश में हिंदू की जनसंख्या 79.8% है, जबकि मुस्लिमों की जनसंख्या में 24.6% की बढ़ोतरी देखने को मिली है. बिहार में मुस्लिमों की बात करें तो वहां पर मुस्लिम समुदाय की उपस्थिति महत्वपूर्णं है. बिहार की कुल जनसंख्या करीब 10.4 करोड़ है, जिसमें से करीब 1.76 करोड़ यानि 16.9% मुस्लिम समुदाय से हैं. दरअसल ब्रिटिश काल में बड़ी संख्या में मुस्लिम बिहार में आकर बसे हैं. बिहार में कहां कितने मुस्लिमबिहार के अररिया, पूर्णिया, किशनगंज, पटना और भागलपुर में मुस्लिमों की जनसंख्या ज्यादा है. खासतौर से सीमांचल क्षेत्र यानि अररिया और किशनगंज में मुस्लिम समुदाय ज्यादा है. बिहार में मुस्लिमों की अधिकता के पीछे कई कारण हैं, जैसे कि ऐतिहासिक, सामाजिक, आर्थिक और कृषि कारक भी शामिल हैं.

2023 में जब बिहार की सरकार ने जातीय जनगणना कराई थी, उसके अनुसार वहां पर कुल जनसंख्या 13 करोड़ थी. जिसमें मुस्लिमों का कुल प्रतिशत 17.70 है. वहीं हिदू 81.99% हैं. इसके बाद अन्य धर्मों की बारी आती है. किस वर्ग का वोट बैंक सबसे ज्यादाबिहार में जाति वर्ग के आधार पर देखा जाए तो सबसे बड़ा वोट बैंक अत्यंत पिछड़ा वर्ग है. बिहार में ओबीसी 36.0148%, पिछड़ा वर्ग 27.12%, अनुसूचित जाति 19.6518%, अनुसूचित जनजाति 1.68% और अनारक्षित 15.5% हैं. ऐसे में बिहार विधानसभा चुनाव में ओबीसी वोट बैंक पर सभी पार्टियों की नजर होने वाली है. वहीं मुस्लिम भी बिहार में बड़ी संख्या में हैं. ऐसे में पार्टियां मुस्लिमों को भी अपनी ओर लुभाने की कोशिश करेंगी.