महाराष्ट्र में NDA को लग सकता है झटका,वापसी करना हो गया मुश्किल!
महाराष्ट्र के बदले हुए सियासी माहौल में कांग्रेस, उद्धव ठाकरे और शरद पवार की तिकड़ी को मात देने के लिए बीजेपी ने एकनाथ शिंदे और अजित पवार की पार्टी के साथ एक मबजूत राजनीतिक केमिस्ट्री बना रखी है. बीजेपी ने सीएम योगी के ‘बंटेगे तो कटेंगे’ के नारे से महाराष्ट्र चुनाव को फतह करने की कवायद कर रही थी, उसे पार्टी के शीर्ष नेताओं और आरएसएस का समर्थन हासिल. इस नारे के साथ चुनावी फिजा को बीजेपी अपने पक्ष में बनाए रखने में लगी है, लेकिन महाराष्ट्र में एनडीए के सहयोगी अजीत पवार ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र बीजेपी के नेता भी ‘बंट’ गए हैं.योगी आदित्यनाथ का बांग्लादेश के संदर्भ में दिया बंटेंगे तो कटेंगे का नारा हरियाणा चुनाव में बीजेपी के लिए हिट रहा।
यूपी उपचुनाव के साथ झारखंड और महाराष्ट्र के सियासी फिजा में भी गूंज रहा है. बीजेपी इस नैरेटिव को सेट कर जातियों में बिखरे हुए हिंदुओं को एकजुट करने की कवायद कर रही है, लेकिन महाराष्ट्र के बीजेपी नेताओं और सहयोगी को पसंद नहीं आ रहा है. योगी के बंटेंगे तो कटेंगे वाले बयान से सहयोगी दलों ने किनारा कर लिया है.बंटेंगे तो कटेंगे पर एनडीए में दरारअजित पवार और देवेंद्र फडणवीस आमने-सामने आ गए हैं तो एकनाथ शिंदे खेमा भी इससे अलग रखे हुए हैं. इतना ही नहीं बीजेपी की नेता पंकजा मुंडे और अशोक चव्हाण ने बंटेंगे तो कटेंगे पर सवाल खड़े कर दिए हैं. बिहार में बीजेपी की सहयोगी जेडीयू पहले ही खुद को इससे अलग कर लिया है. इस तरह ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ पर बीजेपी नेतृत्व वाला एनडीए पूरी तरह बंटा हुआ नजर आ रहा है, क्योंकि अजित ने इस नारे को महाराष्ट्र की वैचारिक विरासत से अलग बताया है.एनसीपी प्रमुख अजीत पवार ने सीएम योगी के नारे का विरोध करते हुए कहा कि महाराष्ट्र ने कभी भी सांप्रदायिक विभाजन को स्वीकार नहीं किया. यूपी, बिहार और मध्यप्रदेश में लोगों की सोच अलग है, लेकिन ऐसे बयान महाराष्ट्र में नहीं चलते. मेरी राय में महाराष्ट्र में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कोई मायने नहीं रखता है, क्योंकि महाराष्ट्र के लोगों ने छत्रपति शाहू महाराज, ज्योतिबा फुले और बाबासाहेब आंबेडकर की धर्मनिरपेक्ष विचारधारा का पालन किया है. हमारा नारा सब का साथ और सब का विकास है. अगर कोई शाहूजी, शिवाजी, फुले और आंबेडकर की विचारधारा से भटकेगा, तो महाराष्ट्र उसे नहीं बख्शेगा,अजित पवार के सुर में सुर मिलाते हुए एकनाथ शिंदे भी नजर आए और उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में इस तरह की सियासत नहीं हो सकती है. हमारी पार्टी ढाई साल में हुए विकास कार्य और लोक कल्याणकारी योजनाओं को लेकर चुनाव में जा रहे हैं, उसी पर चुनाव लड़ रहे हैं. लोकतंत्र में एक होकर वोटिंग करेंगे और ज्यादा से ज्यादा वोटिंग करें. शिंदे खेमे के प्रवक्ता सुशील व्यास कहते हैं कि पीएम मोदी के सबका साथ और सबका विकास वाले नारे के साथ हैं।