NDA को हुआ अहसास,लोकसभा चुनाव जीतने के लिए अब गठबंधन की जरूरत-कांग्रेस का हमला
साल 2024 चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर 18 जुलाई को सत्ता पक्ष और विपक्ष अपने-अपने गठबंधन दलों के जरिए अपनी अपनी ताकत का मुजायरा करेंगे. 18 जुलाई को पहले से ही तय विपक्षी दलों की बैंगलोर में बैठक के बाद अब सत्ताधारी बीजेपी ने भी दिल्ली के अशोक होटल में एनडीए घटक दलों की बैठक बुला ली है. बैठक में उन सभी दलों को निमंत्रित किया गया है, जो फिलहाल बीजेपी के साथ खड़े हैं, लेकिन मिली जानकारी के मुताबिक कुछ ऐसे दलों को भी इस बैठक में बुलाया जा रहा है जो पहले कभी एनडीए के हिस्सा रहे हैं.18 जुलाई को एनडीए बैठक में शामिल होने वाले दलों की सूची में 20 पार्टियां शामिल हैं. बैठक में महाराष्ट्र से शिवसेना (शिंदे गुट), एनसीपी (अजीत पवार ग्रुप), बिहार की एलजेपी के दोनों धड़े, जीतन राम मांझी की हम पार्टी, उपेंद्र कुशवाहा की आरएलजेडी, यूपी से अपना दल (सोनेलाल), संजय निषाद की निषाद पार्टी, ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा, मेघालय की कोरनाड संगमा की एनपीपी, नागालैंड से एनडीबीपी, सिक्किम से एसकेएम, हरियाणा से जेजेपी, तमिल मनीला कांग्रेस, एआईएडीएमके, आईएमकेएमएमके, झारखंड से आजसू, जोरमथंगमा की मिजो नेशनल फ्रंट,असम की एजीपी,आंध्र से जनसेना जैसे दल एनडीए के घोषित सहयोगी पार्टियां शामिल होंगी. वही इधर बता दें कि मानसून सत्र से पहले आज कांग्रेस पार्टी की मीटिंग है. पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के घर पर मीटिंग रखी गई है. मानसून सत्र के लिए एजेंडा तैयार किया जाएगा. यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब अगले साल के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष की दूसरी मीटिंग शेड्यूल है. 17-18 जुलाई को बेंगलुरू में विपक्ष की दूसरी बैठक होगी. वही दूसरी तरफ बता दें कि बिहार से जीतन राम मांझी के बाद अब उत्तर प्रदेश से ओम प्रकाश राजभर की भी एनडीए में वापसी हो गई है. पंजाब में शिरोमणि अकाली दल की बातचीत भी अंतिम दौर में बताई जा रही है. उत्तर प्रदेश के एक कद्दावर नेता दारा सिंह चौहान ने समाजवादी पार्टी और विधान सभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. राजभर और चौहान, एनडीए चेयरमैन अमित शाह से मिल चुके हैं. दरअसल आपको बताते चलें कि मांझी, राजभर, दारा ये तो संकेत मात्र हैं. गृह मंत्री अमित शाह इन दिनों बहुत तेजी से भाजपा और एनडीए का कुनबा बढ़ा रहे हैं. वे छोटे दलों को एनडीए और अन्य दलों में मौजूद बड़े नेताओं को भाजपा में शामिल करने की मुहिम में जुटे हैं. शरद पवार जैसे कद्दावर नेता को उनके ही भतीजे अजित पवार के जरिए झटका देना भाजपा की उसी नीति का हिस्सा है.