संसद की नई इमारत की जरूरत नहीं,यह पुराना इतिहास बदलने जैसा-CM नीतीश कुमार
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नए संसद भवन के बारे में कहा कि अलग से बनाने की क्या जरूरत थी. अलग बिल्डिंग बनाने की कोई जरूरत ही नहीं थी, यह पुराना इतिहास बदलने के जैसा है. हमसे पूछिएगा तो हमको यह लगता है कि भवन को अलग से बनाने की क्या जरूरत थी. जो आजकल शासन में हैं वो सारे इतिहास को बदल देंगे. यहां तक की आजादी के इतिहास को बदल देंगे. वही दूसरी तरफ बता दें कि इधर आज पटना स्थित जेडीयू दफ्तर में शनिवार को पार्टी की अहम बैठक होगी। इसमें लोकसभा चुनाव 2024 की रणनीति पर चर्चा की जाएगी। इस बैठक में सभी जिलाध्यक्ष, विधानसभा प्रभारी और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल होंगे। एक दिन पहले ही जेडीयू ने बिहार में 13 प्रकोष्ठों का गठन किया था।वही दूसरी तरफ बता दें कि इधर वही दूसरी ओर बता दें कि इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को संसद के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण करेंगे. संसद के नए भवन का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने गुरुवार को पीएम मोदी से भेंट की है. साथ ही उनसे इस भवन का लोकार्पण करने का आग्रह किया है।तथा राज्यसभा, दोनों सदनों ने 5 अगस्त 2019 को सरकार से संसद के नए भवन के निर्माण के लिए आग्रह किया था. इसके बाद 10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के नए भवन का शिलान्यास किया था. वही आपको बताते चले कि संसद के नवनिर्मित भवन को गुणवत्ता के साथ रिकॉर्ड समय में तैयार किया गया है. चार मंजिला संसद भवन में 1224 सांसदों के बैठने की व्यवस्था की गई है.अब संसद का नवनिर्मित भवन भारत की गौरवशाली लोकतांत्रिक परंपराओं और संवैधानिक मूल्यों को और अधिक समृद्ध करने का कार्य करेगा. साथ ही अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त इस भवन में सदस्यों को अपने कार्यों को और बेहतर तरीके से करने में भी सहायता मिलेगी. वही इधर बता दें कि देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि, ‘इंदिरा गांधी ने जब संसद भवन के एनेक्स बिल्डिंग का उद्घाटन किया था और राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं किया था तब सवाल क्यों नहीं उठे? इंदिरा गांधी ने महाराष्ट्र विधानभवन का उद्घाटन किया और राज्यपाल को आमंत्रित नहीं किया तब सवाल क्यों नहीं किया गया? राजीव गांधी ने संसद की लाइब्रेरी का उद्घाटन किया और राष्ट्रपति को नहीं बुलाया तब किसी ने कुछ क्यों नहीं कहा? मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी ने मणिपुर विधानभवन का उद्घाटन किया और राज्यपाल को नहीं बुलाया, तब सवाल क्यों नहीं किया गया?’