महिला आरक्षण के बहाने विपक्षी को मिला OBC कार्ड खेलने का मौका,बीजेपी को विपक्षी नेताओं ने बताया ओबीसी विरोधी
लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने वाला नारी शक्ति वंदन विधेयक लोकसभा से पास हो गया है और अब राज्यसभा में पेश किया गया है. मौजूदा परिस्थित में बिल उच्च सदन से भी पारित होने की पूरी संभावना है. मोदी सरकार के द्वारा आधी आबादी को एक तिहाई हिस्सेदारी देने के कदम को बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक बताया जा रहा है, लेकिन विधेयक में ओबीसी महिलाओं को अलग से आरक्षण न दिए जाने को लेकर विपक्ष ने मोर्चा खोल रखा है. कांग्रेस से लेकर तमाम विपक्षी दल मोदी सरकार को ओबीसी विरोधी कठघरे में खड़े करने की कोशिशों में जुटी है, जिससे निपटने के लिए बीजेपी ने बकायदा काउंटर प्लान बना रखा है.लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी से लेकर सोनिया गांधी तक ने बिल का समर्थन तो किया, लेकिन बिल में ओबीसी के लिए आरक्षण की मांग उठाने के साथ-साथ जातिगत जनगणना का भी मुद्दा उछाल दिया है. इतना ही नहीं विपक्षी दल की तरफ से सपा से लेकर बसपा, जेडीयू और आरजेडी जैसी पार्टियां महिला आरक्षण में ‘कोटे में कोटा’ की मांग कर रहे हैं, लेकिन बीजेपी और मोदी सरकार यह बताने की कोशिश में जुटी है कि संविधान में तीन कैटेगरी से सांसद चुनकर आते हैं, उन तीनों में आरक्षण की व्यवस्था की गई है।
सोनिया गांधी ने बुधवार को महिला आरक्षण विधेयक पर लोकसभा में चर्चा के बिल का समर्थन किया, लेकिन साथ ही मांग किया कि एससी, एसटी, ओबीसी के लिए उप-कोटा के साथ महिला कोटा बिल तुरंत लागू किया जाए. साथ ही जातिगत जनगणना की भी मांग उठाई. सोनिया गांधी के साथ-साथ राहुल गांधी ने बिल का समर्थन करने के साथ ओबीसी समुदाय के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरते हुए नजर आए. राहुल ने कहा कि ओबीसी आरक्षण के बिना यह बिल अधूरा है. देश में दलित, आदिवासी, ओबीसी कितने है, इसका जवाब सिर्फ जातिगत जनगणना से मिल सकता है. विपक्षी जब भी ओबीसे के मुद्दे को उठाता है तो बीजेपी दूसरे मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश क्यों करती है ताकि ओबीसी समुदाय दूसरी तरफ देखने लगे.2011 में कराए जाति सर्वे के आंकड़ों को जारी करने मांग उठाते हुए राहुल गांधी ने कहा कि जातिगत जनगणना के आंकड़ों को जारी करना चाहिए, नहीं तो हम उसे जारी कर डालेंगे. केंद्रीय सचिवों की एक लिस्ट दिखाते हुए राहुल गांधी ने कहा कि 90 केंद्रीय सचिव में से तीन ओबीसी हैं. राहुल ने कहा कि यही पांच फीसदी लोग बजट को कंट्रोल करते हैं. ये ओबीसी समुदाय का अपमान है. राहुल गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार पर ओबीसी विरोधी आरोप लगाते हुए जातिगत जनगणना की मांग रखी. इस तरह महिला आरक्षण के बहाने राहुल गांधी से लेकर सोनिया गांधी तक ने जिस तरह ओबीसी के आरक्षण का मुद्दा उठाया है, उससे सियासी मंशा समझी जा सकती है.राहुल गांधी ही नहीं बल्कि विपक्षी खेमे में तमाम नेताओं ने महिला आरक्षण के बहाने बीजेपी को ओबीसी विरोधी कठघरे में खड़े करने की कोशिश करते नजर आए. विपक्षी गठबंधन INDIA आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में जातिगत जनगणना के मुद्दे को बीजेपी के खिलाफ सियासी हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने की रणनीति बना रखी है और संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण के मुद्दे पर उसे लेकर आक्रमक होने का मोका मिल गया, क्योंकि बीजेपी ने कोटे के अंदर कोटे की व्यवस्था नहीं रखी है.दरअसल, भारतीय राजनीति पूरी तरह से बदल गई है और अब पूरी सियासत ओबीसी के इर्द-गिर्द सिमटी हुई नजर आ रही है. एक दौरा में ब्राह्मण, बनियों की पार्टी कहलाने वाली बीजेपी अब इस तमगे से बाहर निकलकर ओबीसी और दलित समुदाय के बीच अपनी मजबूत पकड़ बनाने में सफल रही. बीजेपी 2014 में नरेंद्र मोदी के अगुवाई सत्ता में आई तो उसमें ओबीसी समुदाय की अहम भूमिका रही थी. ऐसे में महिला आरक्षण में ओबीसी को कोटा न फिक्स किए जाने से विपक्षी बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. बीजेपी के लिए 2024 के चुनाव में चिंता बढ़ सकती है. नीतीश कुमार से लेकर अखिलेश यादव, लालू प्रसाद यादव जैसे ओबीसी नेता विपक्षी गठबंधन INDIA खेमे के साथ खड़े हैं, जिसमें कांग्रेस भी अहम रोल में है. ऐसे में ओबीसी के मुद्दे पर बीजेपी के लिए चिंता बढ़ सकती है।