नीतीश के विपक्षी एकता मिशन पर पीके का तंज,नेताओं के साथ चाय पीने से विपक्षी दल एकजुट होना रहता तो 10 साल पहले हो गया होता
एक तरफ सीएम नीतीश कुमार विपक्षी एकता को मजबूत करने के मिशन पर लगे हैं। अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मुलाकात कर रहे हैं। लेकिन वहीं दूसरी तरफ चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा है कि नेताओं और दलों के साथ में बैठकर चाय पीने से विपक्षी एकता अगर होनी होती तो 10 साल पहले ही ऐसा हो गया होता। नेताओं आपस में मिलने से विपक्षी एकता नहीं हो सकती। इसको लेकर जो दावे किये जा रहे हैं, उसका कोई मतलब नहीं बनता है।प्रशांत किशोर ने कहा कि विपक्षी एकता की बात करने से पहले बिहार में सीटों का ही फॉर्मूला तो तय किया जाए कि जदयू, कांग्रेस, राजद और उनके अन्य सहयोगी दल कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। अपनी पद यात्रा के दौरान भी प्रशांत किशोर बिहार की महागठबंधन सरकार समेत सभी सियासी दलों को घेरते नजर आएं है। वही दूसरी तरफ बता दें कि इधर आगामी लोकसभा चुनाव से पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों को एकजुट करने के प्रयास तेज कर दिए हैं।इसी कड़ी में उन्होंने बीते दिनों एक बार फिर से नीतीश कुमार दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर पहुंचे हुए हैं,जहां अहम बैठक हुई, इस बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल, जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह और बिहार सरकार में मंत्री संजय झा भी मौजूद हैं।2024 लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी दलों ने भाजपा की बेचैनी को बढ़ा दिया है। इसका सीधा उदाहरण 20 मई को कर्नाटक में नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में देखा गया था। हालांकि इस समारोह में विपक्ष के 18 दलों के नेता एक मंच पर नजर आए थे और विपक्षी एकजुटता का संदेश देने का प्रयास किया गया था.