क्वाड शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी की जमकर हुई तारीफ,हिंद महासागर में नेताओं ने बताया भारत की भूमिका..

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अमेरिका के डेलावेयर में आयोजित क्वाड शिखर सम्मेलन में क्वाड के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खूब तारीफ की. हिंद महासागर में भारत की भूमिका को लेकर उनकी तारीफ की गई. ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में हिंद महासागर में महाशक्ति बनकर उभरा है. वहीं, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि अमेरिका को भी भारत के अनुभवों से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है. जापानी पीएम फुमियो किशिदा ने कहा कि वॉइस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट के आयोजन का समर्थन करने की बात कही.समिट में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि क्वाड किसी के खिलाफ नहीं है बल्कि यह नियमों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और संप्रभुता के के पक्ष में है।

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स्वतंत्र, खुला, समावेशी और समृद्ध हिंद-प्रशांत हमारी प्राथमिकता है. हम सभी नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, संप्रभुता का सम्मान, क्षेत्रीय अखंडता और सभी मुद्दों का शांतिपूर्ण तरीके से समाधान करने के समर्थन में हैं. हमने मिलकर स्वास्थ्य सुरक्षा, महत्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियों, जलवायु परिवर्तन, क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों में कई सकारात्मक और समावेशी पहल की हैं.पीएम मोदी ने कहा कि क्वाड के नेता ऐसे समय में यहा इकट्ठा हुए हैं जब पूरी दुनिया तनाव और संघर्षों से घिरी हुई है. ऐसे समय में क्वाड का अपने लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ मिलकर काम करना सबसे अहम है. हमारा संदेश स्पष्ट है कि क्वाड कायम रहेगा. दरअसल, पीएम मोदी का पूरा का पूरा इशाना चीन की तरफ था. चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपनी संप्रभुता का दावा करता है वहीं वियतनाम, मलेशिया, फिलीपीन, ब्रुनेई और ताइवान भी इस पर अपना दावा करते हैं.बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी तीन दिवसीय दौरे पर अमेरिका में हैं. उनके दौरे का आज दूसरा दिन है. क्वाट समिट में हिस्सा लेने के बाद पीएम मोदी न्यूयॉर्क पहुंच गए. वह आज न्यूयॉर्क के लॉन्ग आइलैंड में भारतीय समुदाय को संबोधित करेंगे. इसके बाद कल वोसंयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘समिट ऑफ द फ्यूचर’ कार्यक्रम को संबोधित करेंगे.क्वाड चार देशों का एक समूह है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, भारत, अमेरिका और जापान शामिल हैं. क्वाड देशों का मकसद समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना है. इस संगठन की शुरुआत 2007 में हुई थी. मगर 2008 में ऑस्ट्रेलिया के हटने के बाद यह बंद हो गया था. 2017 में इसे फिर से शुरू किया गया था. चीन इस संगठन से चीन चिढ़ता है. क्वाड का गठन चीन को जवाब देने के लिए ही किया गया है.क्वाड का काम इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा और स्थायित्व को बनाए रखने के लिए नियम आधारित व्यवस्था बनाना, नेविगेशन की स्वाधीनता और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान करना है.

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